गुडग़ांवI श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए वीरवार से गुप्त नवरात्र शुरु कर दिए हैं। वर्ष में 2 बार गुप्त नवरात्र होते हैं। हालांकि कुल मिलाकर वर्ष में 4 नवरात्र होते हैं। ये चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। महाकाल संहिता और अन्य
ग्रंथों में भी इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। गुप्त नवरात्र से विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। कुछ ही लोगों को इसके बारे में जानकारी होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से ही इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं। सिद्धयोग मठ के बालयोगी अलखनाथ ओघड़ का कहना है कि ये गुप्त नवरात्र आगामी 9 जुलाई को संपन्न होंगे।
गुप्त नवरात्र में साधारतया: साधक मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की 9 रात्रि पर्यंत साधना करते हैं और कुछ साधक अत्यधिक शक्ति व वर्चस्व के लिए 10 महा विद्याओं की पूजा-अर्चना भी करते हैं। बालयोगी का कहना है कि ये गुप्त नवरात्र अमोघ शक्ति और अखंड पुण्य प्रदान करते हैं। साधक गुप्त रुप से सायं अपने ही स्थान पर मां भगवती के विभिन्न स्वरुपों की पूजा-अर्चना कर सुख-निरोगी व दीर्घायु तथा मानव कल्याण की शांति की कामना भी करते हैं। उनका कहना है कि साधक 10 महा विधाओं मां काली, भूनेश्वरी माता, त्रिपुरु सुंदरी, छिन माता, बंगलामुखी देवी, कमला देवी, त्रिपुर भैरवी माता, तारा देवी,धुमावती मां व मातंगी की पूजा-अर्चना भी करते हैं।
उनका कहना है कि सामान्य नवरात्र में आमतौर पर सात्विक व तांत्रिक दोनों ही प्रकार की पूजा होती है, लेकिन गुप्त नवरात्र में अधिकतर तांत्रिक पूजा ही की जाती है। गुप्त नवरात्र में ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता। बल्कि अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। 9 दिनों के लिए कलश की स्थापना की जाती है। मां भवानी को लौंग व बताशा का भोग लगाया जाता है। मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम माना गया है। साधक को पूजा-अर्चना के दौरान अपना खान-पान और आहार सात्विक रखना चाहिए। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां की मूर्ति की स्थापना की जाती है।
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