गुडग़ांव। केदारनाथ सिंह आधुनिक हिंदी कवियों एवं लेखकों में से एक थे। केदारनाथ सिंह चर्चित कविता संकलन तीसरा सप्तक के सहयोगी कवियों में से एक हैं। इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं। कविता पाठ के लिए दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ की हैं।
साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि उनका जन्म 7 जुलाई 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया जि़ले के चकिया गाँव में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से एमए और 1964 में पीएचडी की। उन्होंने कई कालेजों में अध्यापन कार्य भी किया था। उन्होंने कविता व गद्य की अनेक पुस्तकों की रचनाएं की थी। उनकी कविता में गाँव व शहर का द्वन्द्व साफ नजर आता है। बाघ उनकी प्रमुख लम्बी कविता है, जो मील का पत्थर मानी जा सकती है। उन्होंने अपनी कविताओं में शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को भी स्थान दिया। डा. अग्रवाल ने कहा कि उन्हें ज्ञानपीठ पुरुस्कार भी मिला था। वह यह पुरुस्कार पाने वाले हिंदी के 10वें लेखक थे। इससे पहले हिंदी साहित्य के जानी मानी सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा को यह पुरस्कार मिल चुका है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकार केदारनाथ सिंह का 84 वर्ष की आयु में 19 मार्च, 2018 को दिल्ली में निधन हो गया था। डा. अग्रवाल ने साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत लेखकों से आग्रह किया कि वे केदारनाथ के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी।
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