गुडग़ांवI देश के प्रथम फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू ने कहा कि मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। अमृतसर में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वह देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच वर्ष 1932 के लिए चुने गए। इस बैच में 40 सैन्य अधिकारी शामिल थे। कमीशन प्राप्ति के बाद वर्ष 1934 में वह भारतीय सेना में भर्ती हुए। वर्ष 1969 को उन्हें देश का सेनाध्यक्ष बनाया गया और वर्ष 1973 में फील्ड मार्शल का सम्मान भी दिया गया। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था।
भारत विभाजन के बाद 1947-48 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1968 में नागालैंड समस्या सुलझाने के लिए उन्हें पद्मभूषण व बांगलादेश के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था। श्रमिक नेता ने बताया कि 4 दशकों तक देश की सेवा करने के बाद फील्ड मार्शल वर्ष 1973 में सेवानिवृत हो गए थे। वृद्धावस्था में विभिन्न बीमारियों के चलते 27 जून 2008 को उनका निधन हो गया था। वास्तव में मानेक शॉ सैन्य अधिकारियों व जवानों के लिए एक बड़ा आदर्श हैं। उनके खाए रास्ते पर चलकर देश की सीमाओं की रक्षा की जा सकती है।
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