गुडग़ांवI बिजली निगम उपभोक्ताओं पर बिजली चोरी करने के मामले दर्ज कराता रहा है। हालांकि अधिकांश मामलों को अदालत गलत ही पाती है। जिस पर अदालत बिजली निगम को आदेश देती रही है कि वह उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि को अमुक ब्याज दर से वापिस की जाए, लेकिन अधिकारी इस पर भी कोई ध्यान नहीं देते। कहीं अदालत बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच न कर दे, बिजली निगम ने उपभोक्ता को जमा कराई गई पूरी जुर्माना राशि व ब्याज का चैक बनाकर अदालत में उपभोक्ता को दे दिया। बिजली उपभोक्ताओं के मामलों की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता क्षितिज मेहता का कहना है कि वर्ष 2015 की 16 मई को जिले के गांव चौमा के बबलू के घर लगा बिजली मीटर उतारकर बिजली निगम ने लैब में चैक कराया था और उपभोक्ता पर आरोप लगाया था कि उसका मीटर टैंपर पाया गया है और उस पर एक लाख 9 हजार 255 रुपए का जुर्माना लगा दिया था।
अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने वर्ष 2017 की 3 जुलाई को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था। तत्कालीन सिविल जज अंतरप्रीत सिंह की अदालत ने बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर लगाए गए बिजली चोरी के आरोपों को गलत करार दिया था और आदेश दिया था कि जमा की गई जुर्माना राशि को 6 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस किया जाए। बिजली निगम ने निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी।
तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार की अदालत ने गत वर्ष 15 नवम्बर को बिजली निगम की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन इस सबके बावजूद भी बिजली निगम ने उपभोक्ता को उसकी जमा की गई धनराशि ब्याज सहित नहीं लौटाई। गत वर्ष 16 दिसम्बर को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की गई कि निगम ने उपभोक्ता को पैसा वापिस नहीं किया है।
बिजली निगम को डर था कि कहीं अदालत बिजली बोर्ड का बैंक अकाउंट अटैच न कर दे। इसलिए गत सप्ताह सुनवाई के दौरान बिजली निगम जमा की गई जुर्माना राशि व ब्याज सहित कुल एक लाख 54 हजार 975 रुपए का चैक लेकर अदालत में पेश हो गए और उपभोक्ता को अदालत में ही जुर्माना राशि व ब्याज की पूरी धनराशि मिल गई। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ ह्रासमेंट का केस दायर करने की तैयारी भी कर रहा है।
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