गुडग़ांव, सत्य तो यह है कि हम लोगों ने धर्म को पूरी
तरह से समझा ही नहीं है। अधिकांश लोग रोली-मौली, धूप-दीप से हवन आादि कर
उसी को ही धार्मिक अनुष्ठान मान लेते हैं, लेकिन यह सब पर्याप्त नहीं है।
किसी भूखे-गरीब के पेट की जठराग्रि को भोजन खिलाकर शांत कर देना यह भी एक
हवन है। लोगों को धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ जरुरतमंद लोगों की भूख का
भी ध्यान रखना चाहिए। उक्त उद्गार मंथन आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन के
संरक्षक हरिद्वार तपोवन के गीता ज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज
ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना
वायरस त्रासदी में देशवासियों से 9 परिवारों की अन्न, वस्त्रादि द्वारा
मदद करने का संकल्प लेने का आह्वान किया है और इसी को नवरात्र का असली
पूजन माना है। प्रधानमंत्री की सोच है कि हम स्वयं तो नवरात्र व्रत के
नाम पर फलाहारी भोजन का मजा लेवें और हमारे आस-पास का कोई भी असहाय भूखा
सो जाए तो यह अच्छा नहीं होगा और न ही मां दुर्गा इस सब से प्रसन्न होने
वाली है। उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री की
इस धार्मिक, आद्यात्मिक और व्यवहारिक दृष्टि को समझें तथा यथार्थ में
नवरात्र पूजा कर मां जगदंबा की कृपा को प्राप्त करें। क्योंकि प्रकृति के
विभिन्न रुपों में उसी शक्ति का दर्शन कर उसकी आराधना करने से प्रकृति
अनुकूल हो जाती है, तभी यह कोरोना वायरस जैसा प्राकृतिक प्रकोप शांत हो
सकेगा।
Comment here