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ग्रामीण महिलाएं जुटी हैं प्राकृतिक गुलाल व रंग बनाने में


गुडग़ांव। फाल्गुन माह चल रहा है। इसी माह में होली व धुल्हेंडी का पर्व भी मनाया जाएगा। धुल्हेंडी का पर्व आगामी 8 मार्च को मनाया जाएगा। इस पर्व को रंगों का पर्व भी कहा जाता है। सभी लोग गुलाल व रंग लगाकर इस पर्व मनाते रहे हैं। रंगों व गुलाल में रासायनिक पदार्थों को मिलाए जाने की जानकारी मिलती रही है। रासायनिक गुलाल व रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। सरकार व चिकित्सक भी आमजन से आग्रह करते रहे हैं कि रासायनिक रंगों की जगह हर्बल गुलाल व रंगों से इस पर्व को मनाया जाए। इसी क्रम में जिले के गांव दौलताबाद में ग्रामीण महिलाओं से प्राकृतिक होली का रंग समाजसेवी कुलदीप जांघू पिछले कई वर्षों से बनवाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य के प्रभावित होने का भय बना रहता है। इसीलिए उन्होंने प्राकृतिक रंग बनवाने के लिए पिछले कई वर्षों से पहल की हुई है।

ग्रामीण महिलाओं को भी इस दौरान रोजगार मिल जाता है। उन्होंने आमजन से आग्रह किया है कि वे रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से बचें और प्राकृतिक रंगों का ही पवित्र त्यौहार पर इस्तेमाल करें और अन्यों को भी इसका इस्तेमाल करने का आग्रह करें। प्राकृतिक रंगों से किसी प्रकार का की कोई शारीरिक हानि नहीं होती। उन्होंने आग्रह किया है कि इन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा बनाए गए प्राकृतिक रंगों से होली का पर्व मनाएं, जिससे पर्व की खुशी भी दोगुनी हो जाएगी।

Comments (3)

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