साम्यवादियों का षडय़ंत्र बताकर विकास के कदमों पर नहीं करना चाहिए प्रहार : अजय सिंहल
गुडग़ांव। विश्व में कला के क्षेत्र में भी कई नवीनतम व आधुनिकतम तकनीक जिसे कृत्रिम बुद्धिमता यानि कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नाम से जाना जाता है, इसका बड़ा विकास हुआ है। एआई द्वारा बनाया गया भगवान श्रीराम का चित्र आजकल बड़ी चर्चाओं में है। इस चित्र में भगवान श्रीराम को 21 वर्ष की अवस्था वाला बताया गया है। इस चित्र का देश के ही कुछ लोग यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि चित्र में जहां भगवान श्रीराम को गौरवर्ण के रुप में दिखाया गया है, वहीं उनके कानों में कुण्डल आदि भी नहीं दर्शाए गए हैं। इसे वे धर्मविरोधियों व साम्यवादी की सोची-समझी चाल बता रहे हैं।
इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए प्रदेश की हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक अजय सिंहल का कहना है कि कुछ लोग इसे साम्यवादी की चाल बता रहे हैं, जोकि गलत है। उनका कहना है कि वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम के रुप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि श्रीराम के बाल लंबे और चमकदार थे, चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य कांति वाला कोमल और सुंदर था। कान बड़े थे, जिनमें कुण्डल शोभा पाते थे। उनका कहना है कि एआई एक कंम्यूटर विज्ञान की विद्या है, जिसके माध्यम से हम जैसा सोचते हैं, वैसा कृत्रिम रुप तैयार कर सकते हैं तो एआई द्वारा भगवान श्रीराम का निर्मित चित्र पर विवाद नहीं होना चाहिए। अपने ईष्ट देवों के स्वरुप का चित्रण चित्रकारों की कल्पना का प्रगतिकरण है। अजय सिंहल का कहना है कि एआई ने जो चित्र निर्मित किया है, वह समयानुसार नव पीढ़ी को आकर्षित करने वाला है। आवश्यक नहीं कि भगवान श्रीराम हर समय कुण्डल और धनुष धारण किए रहते हों।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा भगवान श्रीराम का स्वरुप के वर्णन से एआई का चित्रण काफी मिलता-जुलता है। ईष्ट देवों से संबंधित सभी चित्र काल्पनिक हैं जिन्हें चित्रकारों ने अपनी कल्पना से कैनवास पर उतारा है। उनका यह भी कहना है कि चित्र का स्वरुप ऐसा हो, जो हर किसी को मोहित कर दे। हिंदू संस्कृति जड़ी नहीं है, यह परिवर्तनशील है। एआई ने समयानुसार भगवान श्रीराम का जो चित्र बनाया है, उसे बिना किसी संशय के स्वीकार करना चाहिए। हर बात में साम्यवादियों का षडय़ंत्र बताकर हमें विकास के कदमों पर प्रहार नहीं करना चाहिए। दुनिया से साम्यवाद खत्म हो गया है। उन्होंने एआई द्वारा निर्मित भगवान श्रीराम के चित्र को बड़ा मनोहरकारी बताते हुए एआई के प्रयासों की सराहना भी की है।
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