गुडग़ांव। देश को आजाद कराने में स्वतंत्रता सेनानियों व क्रांतिकारियों का बड़ा योगदान रहा है। काकोरी कांड के क्रांतिकारियों में से रामकृष्ण खत्री भी एक थे। उन्हें अंग्रेजों ने काकोरी काण्ड के तहत 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू ने कहा कि उनका जन्म 3 मार्च 1902 को महाराष्ट्र में हुआ था। अपने छात्र जीवन में वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के व्याख्यान से प्रभावित होकर साधु समाज को संगठित करने में जुट गए थे। वह ङ्क्षहदी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेज़ी के अच्छे जानकार थे। उन्होंने शहीदों की छाया मे शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी।
आज़ादी के बाद रामकृष्ण खत्री ने केंद्र सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनाएं भी बनवाई थी, जिसका लाभ स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिजन आज भी उठा रहे हैं। श्रमिक नेता ने कहा कि उन्होंने राजनैतिक कैदियों को जेल से छुड़ाने के लिए आंदोलन चलाया था। शहीदों व क्रांतिकारियों के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन कराने में भी उनका बड़ा योगदान रहा था। क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री का निधन 18 अक्तूबर 1996 को लखनऊ में हो गया था। श्रमिक नेता ने युवाओं से आग्रह किया कि वे रामकृष्ण खत्री के जीवन से प्रेरणा लेकर देश के विकास में अपना योगदान दें।


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