श्रद्धालुओं ने मां शीतला की पूजा-अर्चना कर की बच्चों की दीर्घायु की कामना
गुडग़ांव। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शीतला माता का पूजन कर बासोड़ा का पर्व सोमवार को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया और मंदिर में प्रात: श्रद्धालुओं ने पहुंचकर बीती रात बनाए गए व्यजनों का भोग लगाया एवं आरती, पूजा-अर्चना कर आराध्यदेवी के दरबार में सुख-समृद्धि के लिए मन्नतें मांगी। इस मौके पर शीतला माता मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। वहीं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा। प्रात: से ही मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हो गया, जो देर शाम तक जारी रहा। विभिन्न क्षेत्रों स्थित होली दहन स्थलों पर भी पूरी श्रद्धा के साथ बासोड़ा का पर्व मनाया और मां शीतला से बच्चों की दीर्घायु व परिवार में सुख-समृद्धि की कामना भी की।
क्या है बासोड़ा का महत्व
पंडित मुकेश शर्मा का कहना है कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बासोड़ा मनाया जाता है। इसे बासड़े और शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु होलिका दहन के बाद आने वाले सोमवार को बासोड़ा का पर्व मनाते आ रहे हैं। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। बासोडा के एक दिन पहले खाना बनाया जाता है। जिसमें कच्चा और पक्का दोनों प्रकार का भोजन होता है। बसोड़ा के दिन जहां पर होलिका दहन किया गया हो उस जगह जाकर माता शीतला की पूजा की जाती है। उनका कहना है कि माता शीतला को रोगों निदान करने की देवी माना जाता है। माताएं अपने बच्चों के लिए माता शीतला की पूजा करती हैं। माना जाता है कि माता शीतला की पूजा करने से बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं होता। माता शीतला का पूजन बासी भोजन से किया जाता है। शीतला माता को शीतलता की देवी कहा जाता है। इसलिए इसी कारण से ही माता शीतला का पूजन रात में बनाए गए भोजन के साथ किया जाता है। शहर की गलियों व मौहल्लों में भी माताओं ने बासोड़ा का पूजन कर अपनी संतान के निरोग रहने की मां शीतला से कामना भी की।
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