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हिंदूओं की कीर्ति को फैलाने का कार्य किया था बाजीराव प्रथम ने

गुडग़ांवI बाजीराव प्रथम मराठा साम्राज्य के महान सेना नायक थे। उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म
18 अगस्त 1700 को बालाजी विश्वनाथ और राधाबाई के घर हुआ था। बाजीराव प्रथम को बाजीराव बल्लाल तथा थोरले बाजीराव के नाम से भी जाना जाता है। वह विस्तारवादी प्रवृति के व्यक्ति थे। हिन्दू जाति की कीर्ति को फैलाने के लिए उन्होंने बड़ा कार्य किया। वह एक योग्य सैनिक ही नहीं, अपितु विवेकी राजनैतिज्ञ भी थे। उन्होंने मराठा साम्राज्यवाद की नीति बनाई।

उन्हें मराठा सरदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा था। तत्कालीन मुगल सम्राटों को उन्होंने छठी का दूध याद दिला दिया था।  वक्ताओं ने कहा कि उन्हें मराठा साम्राज्य का द्वितीय संस्थापक माना जाता है। बाजीराव प्रथम ने 29 मार्च 1737 को दिल्ली पर धावा बोल दिया था। मुगल सम्राट मोहम्मद शाह दिल्ली छोडऩे के लिए तैयार हो गया था। इस प्रकार उत्तर भारत में मराठा शक्ति की सर्वोच्चता सिद्ध करने के प्रयास में बाजीराव सफल रहे थे। शिवाजी के बाद बाजीराव प्रथम ही दूसरे ऐसे मराठा सेनापति थे, जिसने गुरिल्ला प्रणाली को अपनाया था। वह मस्तानी नाम की मुस्लिम महिला से
प्रेम संबंधों के कारण भी चर्चित रहे थे।

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