खत्म सहरी प्रात: 4 बजकर 30 मिनट व रोजा इफ्तार सायं 6 बजकर 50 मिनट
गुडग़ांव। वर्ष के 12 माह में रमजान का माह मुस्लिम समुदाय के लिए खास मायने रखता है। यह महीना संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना माना जाता है जिसमें हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। जिस खुदा ने इंसान को पैदा किया है उसके लिए सब प्रकार का त्याग मजबूरी नहीं फर्ज बन जाता है। यह कहना है इस्लामिक धर्मगुरुओं का।
उनका कहना है कि रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। रोजेदार अपने शरीर को वश में रखता है साथ ही तराबी और नमाज पढऩे से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इंसान की रूह पाक-साफ होती है। यह महीना अपनी गलतियों को सुधारने का महीना भी है। उनका कहना है कि अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत गरीबों को जकात के रुप में समुदाय के लोगों को बांटना चाहिए। जामा मस्जिद के इमाम जान मोहम्मद का कहना है कि आज मंगलवार को 26वां रोजा है। जिसमें खत्म सहरी का समय प्रात: 4 बजकर 30 मिनट व रोजा इफ्तार का समय सायं 6 बजकर 50 मिनट होगा। उधर बाजारों में रोजेदार अपनी जरुरत की खाद्य सामग्री आदि भी खरीदते दिखाई दे रहे हैं।
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