गुडग़ांव। बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज मानसी गौड की अदालत ने उपभोक्ता पर बिजली निगम द्वारा लगाए गए बिजली की चोरी के आरोपों को गलत बताते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई एक लाख 79 हजार 534 रुपए की धनराशि 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को वापिस की जाए। उपभोक्ता के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार तावडू मेवात के कैलाश ने वर्ष 2018 की 12 फरवरी को अदालत में केस दायर कर निगम पर आरोप लगाए थे कि बिजली निगम ने उसका बिजली का मीटर उतारकर बिजली निगम की लैब में चैक करना बताया गया और उस पर बिजली चोरी के आरोप लगाते हुए एक लाख 79 हजार 534 रुपए का जुर्माना 7 जुलाई 2015 को लगा दिया था।
बिजली का कनेक्शन कट न जाए, इस डर से उसने जुर्माने की पूरी राशि जमा करा दी थी। वर्ष 2015 की 26 अक्तूबर को उपभोक्ता ने स्पेशल कोर्ट में केस दायर किया था, लेकिन स्पेशल कोर्ट ने इस मामले को निचली अदालत को सुनने के आदेश दिए थे। कई साल यह मामला अदालत में चला। बिजली निगम ने अदालत में जो दस्तावेज पेश किए, उनसे बिजली चोरी का मामला साबित होना न पाते हुए अदालत ने बिजली निगम के आरोपों को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि बिजली निगम जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान उपभोक्ता को 24 प्रतिशत ब्याज दर से करे। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता अब बिजली निगम के अधिकारियों के खिलाफ परेशान करने का मामला भी अदालत में दायर करेगा।
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