गुडग़ांव। ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति सेवानिवृत कर्मचारियों की पैंशन को लेकर पिछले कई वर्षों से संघर्ष करती आ रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी मांग आज तक भी नहीं मानी है। देश के विभिन्न प्रदेशों के पैंशनर्स को मात्र 1171 रुपए पैंशन मिल रही है। अपनी मांगोंको लेकर आज संघर्ष समिति देश के विभिन्न प्रदेशों स्थित जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौेपेंगे।
समिति केसंयोजक कमांडर अशोक राऊत ने पैंशनधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी राष्ट्रीय संघर्ष समिति ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को न्याय दिलाने के लिए पिछले 7 वर्षों से संघर्ष कर रही है। सांसद हेमा मालिनी की अगुआई में प्रधानमंत्री से 2 बार मिल चुके है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आश्वासन मिलने के बावजूद भी उनकी मांगों को लटका के रखा गया है। सरकार लोक कल्याण हेतु विविध प्रकार की पेंशन योजनाएं सुचारू रूप से चला रही है लेकिन सरकार के नियमों के आधीन पेंशन फंड में अंशदान करने बाद हमें हाशिये पर धकेल दिया गया है। उनका कहना है कि हमें स्वाभिमान से जि़न्दगी जीने के लिये 1171 रुपए काफी नहीं है। 7500 सहित महंगाई भत्ता पेंशन पाकर हम स्वाभिमान से अपना जीवनयापन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश जब आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के बुजुर्ग अपने हक़ के लिए सडक़ों पर उतर कर लड़ रहे हैं। उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हमने जीवन भर देश को अपने श्रम से सींचा है मगर जीवन के अंतिम पड़ाव में हमें सरकार ने सडक़ पर ला खड़ा किया है। महंगाई के इस दौर में जब रसोई गैस का एक सिलेंडर इससे अधिक का है तब 1100 महीना पेंशन से गुज़ारा कैसे होगा ये सरकार बताए ? उनका कहना है कि देश के जो सबसे वृद्ध लोग हैं वो शायद आज संसार के सबसे उपेक्षित एवं गऱीब वर्ग है। उन्होंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के उनकी इस मांग को पूरा किया जाए। प्रधानमंत्री को संसद के इसी सत्र में पैंशन वृद्धि की घोषणा करनी चाहिए। सभी प्रदेशों के मुख्यालयों पर समिति की शाखाएं धरना प्रदर्शन भी करेंगी।
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