गुडग़ांव- दीपावली के 5 दिवसीय त्यौहारों की श्रृंखला में आज वीरवार को भाई दूज का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्घा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद भाईदूज ऐसा दूसरा त्यौहार है, जो भाई बहन के अगाढ़ प्रेम को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। भाई अपनी सामथ्र्यनुसार बहन को उपहार भेंट करते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. पंडित मनोज शर्मा का कहना है कि पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि
वह उसके घर आकर भजन करें, लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत—सत्कार किया तथा भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भजन करने आया करें तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराए उसे आपका भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमपुरी चले गए। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में दान कर पूरी श्रद्घा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
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