गुडग़ांवI बिजली निगम द्वारा उपभोक्ताओं को भारी-भरकम बिजली के बिल थमाए जाने की जानकारी समय-समय पर मिलती रही हैं। उपभोक्ता इन बिलों को ठीक कराने के लिए बिजली निगम के कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते भी परेशान हो गए हैं लेकिन निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों का उपभोक्ताओं की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। स्थानीय अदालत में उपभोक्ताओं के हितों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता क्षितिज मेहता का कहना है कि सैक्टर 4 के दिलप्रीत सिंह का बिजली का बिल मीटर की बिना रीडिंग लिए काफी समय से बिजली निगम द्वारा दिया जा रहा था। उनके आवास पर लगा बिजली का कनेक्शन मकान मालिक हनी वर्मा के नाम पर है, लेकिन बिजली का इस्तेमाल इस आवास में वह कर रहे हैं।
अधिवक्ता का कहना है कि वर्ष 2020 की 17 जनवरी में जो बिजली का बिल उपभोक्ता को प्राप्त हुआ था। वह बिना रीडिंग के प्रोविजनल बेस पर दिया गया था। जब उपभोक्ता ने इसकी शिकायत बिजली निगम के अधिकारियों से की तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और बिजली का बिल बढ़ता चला गया। इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से भी की गई, लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका। अधिवक्ताका कहना है कि उन्होंने उपभोक्ता के कहने पर बिजली निगम के प्रबंध निदेशक को लीगल नोटिस भी भेजा, लेकिन लीगल नोटिस का कोई जबाव तो नहीं आया, बल्कि उपभोक्ता के बिल में इसी माह 51 हजार 62 रुपए का रिफंड अवश्य कर दिया गया। लेकिन मजे की बात यह है कि यह बिल भी बिना मीटर रीडिंग के ही इश्यू कर दिया गया है।
अधिवक्ता का कहना है कि यदि कोई उपभोक्ता अपना बिजली का बिल नहीं भरता है तो बिजली निगम उससे ब्याज भी लेता है। जब निगम उपभोक्ता से ब्याज ले सकता है तो निगम से 51 हजार 62 रुपए पर उपभोक्ता को 24 प्रतिशत ब्याज देना चाहिए। इसकी मांग वह बिजली निगम के साथ-साथ अदालत से भी करेंगे। अधिवक्ता का कहना है कि इस प्रकार के मामलों की गुडग़ांव जिले में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। उपभोक्ता परेशान हैं। उधर पीडि़त दिलप्रीत सिंह का कहना है कि वह बिजली निगम के खिलाफ ह्रासमेंट व मानसिक उत्पीडऩ का केस
भी अदालत में डालेगा।
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