कश्मीर में अलगाववादियों के चहेते रहे व हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने वाले यासीन मलिक को अदालत ने विभिन्न आपराधिक धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह सजा आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर संदेश है। उनकी बाकी जिंदगी जेल में ही बीतने वाली है। यासीन मलिक को दी गई सजा पर वीरवार को शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं व कानूनविदों में चर्चा होती रही। कानूनविदों का कहना है कि 2 मामलों मे यासीन मलिक को उम्रकैद व 5 मामलों में 10-10 साल की सजा मिली है। यानि उनकी बाकी जिंदगी अब जेल में ही कटने वाली है। उनका कहना है कि यासीन पर आपराधिक साजिश और देशद्रोह के अलावा आतंंकी कृत्य की साजिश रचने तथा आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के आरोप भी लगे थे, जो अब अदालत में साबित हो चुके हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि 80 के दशक में यासीन मलिक की आतंकी गतिविधियां कश्मीर में शुरु हो गई थी, जो वर्ष 2017 तक जारी रही। 80 के दशक के आखिरी दौर में जहां खूनी हिंसा हुई, वहीं वर्ष 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण और उसके बाद कश्मीर में वायु सेना के 4 जवानों की सरेआम गोली मारकर हत्या करने में भी यासीन मलिक की संलिप्तता थी। उनका यह भी कहना है कि वर्ष 2013 में अफजल गुरु की हत्या के विरोध में यासीन मलिक लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में भूख हड़ताल पर बैठे थे। कानूनविदों का कहना है कि यासीन मलिक को उनके कृत्यों की सजा देकर अदालत ने यह संदेश दे दिया है कि देश आतंकवाद और आतंकियों के सामने झुकेगा नहीं, अपितु उनसे सख्ती से निपटेगा।
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