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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को मिलना चाहिए भारत रत्न

गुडग़ांव, जापान के टोक्यो में ओलंपिक का आयोजन चल रहा
है, जिसमें भारत सहित विश्व के कई देशों के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में
भाग लेकर पदक प्राप्त करने में जुटे हैं। भारतीय हॉकी टीम भी ओलंपिक में
शामिल हुई और अपनी ओर से अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास भी अवश्य किया,
लेकिन स्वर्ण पदक टीम जीत नहीं पाई। फिर भी 41 वर्ष बाद कांस्य पदक अवश्य
मिला है। प्रधानमंत्री सहित देशवासियों ने हॉकी टीम के प्रदर्शन पर
उन्हें शुभकामनाएं भी दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के
सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेलरत्न अब हॉकी के जादूगर मेजर
ध्यानचंद के नाम पर कर दिया है। वर्ष 1991 से शुरु हुआ यह सर्वोच्च खेल
सम्मान अब मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरुस्कार के नाम से जाना जाएगा।
देशवासियों ने भी प्रधानमंत्री के इस घोषणा की पूरी तरह से सराहना भी की
है। गुडग़ांव के खिलाडिय़ों का कहना है कि मेजर ध्यानचंद देश के सबसे
प्रसिद्ध खिलाडिय़ों में से रहे हैं, जिन्होंने देश को मान-सम्मान दिलाया।
उन्हें हॉकी के जादूगर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री
ने जो फैसला किया है, यह उचित है। पुरुष हॉकी टीम के 41 वर्ष बाद ओलंपिक
पदक और महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री की इस
घोषणा का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। प्रधानमंत्री के इस निर्णय से
खिलाडिय़ों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। उधर खिलाडिय़ों का यह भी कहना है कि
मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेलरत्न पुरुस्कार कर देने से ही काम नहीं
चलेगा, उन्हें देश का सर्वोच्च भारत रत्न सम्मान भी मिलना चाहिए।
ध्यानचंद परिवार के पास 6 ओलंपिक पदक व 3 विश्वकप पदक हैं। भारत रत्न
उन्हें बहुत पहले मिल जाना चाहिए था, लेकिन न जाने क्यों नहीं मिल सका,
प्रधानमंत्री को इस पर गौर करना चाहिए, यही मेजर ध्यानचंद के प्रति सच्ची
श्रद्धांजलि होगी।

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