गुडग़ांव, सनातन शास्त्रीय विचारधारा जीवंत रहेगी तो
राष्ट्र की मूल जीवंतता स्वत: सुस्थितर एवं सुरक्षित रहेगी। भारत भूमि
सदैव से ही वीरों की भूमि रही है। इन वीरों ने सनातन धर्म का पालन करने
वालों की रक्षा की है। राष्ट्र धर्म का बहुत महत्व हे। राष्ट्र सुरक्षित
है तो देशवासी सुरक्षित हैं। यह कहना है बसई रोड स्थित पर्णकुटि आश्रम व
उज्जैन महाकालेश्वर के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी विनीत गिरि महाराज
का। उनका कहना है कि यह चर्चा होती रहती है कि धर्म से प्रथम राष्ट्र की
रक्षा करें। राष्ट्र ही नहीं रहेगा तो धर्म का लोग क्या करेंगे। धर्म से
ही राष्ट्र बनता है और धर्म से ही राष्ट्र की विचारधारा निर्मित होती है,
लेकिन राष्ट्र ही धर्म बनता है। राष्ट्र धर्म का बहुत महत्व है। राष्ट्र
सुरक्षित है तो हम सब सुरक्षित हैं। कर्तव्यों का पालन करते हुए राष्ट्र
को सुरक्षित रखना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि देश तो
पाकिस्तान, चीन, रुस आदि भी हैं सभी देशों की अपनी-अपनी सीमाएं भी हैं।
सीमाएं क्यों हैं, किसलिए हैं यह भी एक विचारणीय विषय है। उनका कहना है
कि भारत देश में विभिन्न विचारधारा के नागरिक हैं जो विश्व कल्याण के लिए
वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा का पालन करते हैं। अन्य देशों के नागरिकों की
सोच भारतीय नागरिकों की सोच से अलग है। दूसरे देशों के लोगों की सोच
स्वार्थ की है। उनका कहना है कि भारत भूमि ऋषियों की भूमि रही है,
जिन्होंने समाधिस्थ होकर परमेश्वर का साक्षात्कार किया और उन्होंने जीव
मात्र के कल्याण के लिए अपना जीवन लगा डाला। उनके द्वारा संकलित किए गए
प्रसंगों को भी शास्त्र कहा जाता है। शास्त्रों की रक्षा ही सर्वोपरि व
सर्वश्रेष्ठ धर्म है। जब धर्म रक्षित होगा, तभी तो राष्ट्र रक्षित होगा।
यह सार्वभौमिक व सर्वकालिक सत्य है। उन्होंने और स्पष्ट करते हुए कहा कि
धर्म प्रथम है क्योंकि इसी से राष्ट्र, राष्ट्रीयता, राष्ट्रीय चेतना और
राष्ट्र की आत्मा पवित्र रहती है।
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