गुडग़ांव, वैश्विक कोरोना महामारी का दंश भारत ही नहीं,
अपितु पूरा विश्व ही झेल रहा है। कोहराम मचा हुआ है। स्वयं को महाशक्ति
मानने वाले और परमाणु बम की धमकी देने वाले देश आज कोरोना के समक्ष घुटने
टेकने पर विवश हो गए हैं। अभी तक इस महामारी की कोई अचूक दवा नहीं बन पाई
है। प्लाज्मा थैरेपी को कोरोना वायरस के उपचार के कारगर तरीकों के रुप
में देखा जा रहा है। अनुसंधान क्षेत्र में कार्यरत शोधकर्ताओं का कहना है
कि इन दिनों प्लाज्मा थैरेपी पर अनुसंधान किया जा रहा है, ताकि इस बात का
पता लगाया जा सके कि इससे इस महामारी का इलाज कितना संभव है। इसी कारण
लोगों के मन में इस थैरेपी को लेकर काफी जिज्ञासा है। उनका कहना है कि
प्लाज्मा थैरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माथैरेसिस के नाम से
जाना जाता है। इस थैरेपी को मुख्य रुप से संक्रमण का पता लगाने के लिए
किया जाता है। उनका यह भी कहना है कि एक से 3 घंटे का समय इस थैरेपी में
लगता है और इसे बड़ी सावधानी से किया जाता है।
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