गुडग़ांव, बुध पूर्णिमा बौद्ध धर्म व सनातन संस्कृति में
आस्था रखने वालों का एक प्रमुख पर्व है। वीरवार को वैशाख माह की पूर्णिमा
को यह पर्व लोगों ने लॉकडाउन के चलते अपने घरों में ही मनाया। यह पर्व
भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाईलेंड, जापान, कंबोडिया,
मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया व पाकिस्तान सहित विश्व के कई
देशों में मनाया जाता है। कथावाचक डा. मनोज शर्मा का कहना है कि बुद्ध
पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी दिन उन्हें ज्ञान की
प्राप्ति भी हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। भगवान बुद्ध
का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात
वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज
तक नहीं हुआ है। उनका कहना है कि अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी बोध
धम्म दर्शन से भगवान बुद्ध विश्व के सबसे महान महापुरुष हैं। आज विश्व
में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या 180 करोड़ से भी अधिक है। उनका
कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि बिहार स्थित बोधगया नामक
स्थान बौद्ध धर्माबलंबियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। गृह त्याग के
पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए 7 वर्षों तक वन में भटकते रहे।
उन्होंने कठोर तप भी किया। वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष
के नीचे उन्हें बुधत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध
पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने अपने
घरों को फूलों से भी सजाया और गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प भी अर्पित
किए। असहाय लोगों को भोजन व वस्त्र आदि भी वितरित किए गए।
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