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निर्जला एकादशी का संबंध है महाबली भीम से भी व्रत रखकर किया श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य

गुरुग्राम। शहर के विभिन्न मंदिरों में सोमवार को निर्जला
एकादशी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। मंदिरों में पूजा-अर्चना व
भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया। पंडित मुकेश शर्मा का कहना है कि हिंदू
धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। निर्जला एकादशी पर
दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं।
जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढक़र 26 हो जाती है। ज्येष्ठ
मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है। इस व्रत में
पानी भी पीना वर्जित है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक
ग्रंथों में उल्लेख है कि वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ धर्म,
अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम
ने निवेदन किया था कि पितामह आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात
कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बिना नहीं रह सकता। पितामह
ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि नहीं
कुंती नंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता,
सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध
करवाता है। इसलिए तुम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही
एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त
होगा। तभी से निर्जला एकादशी का आयोजन किया जाता आ रहा है। इसे पांडव
एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

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