गुडग़ांव, लॉकडाउन का अर्थ परस्पर नौकझौंक और एक दूसरे
पर दोषारोपण करना नहीं होता। इस संकट की घड़ी में दोषारोपण कर समय नहीं
गंवाना चाहिए। अच्छा यही होगा कि घरों में रहकर सरकारी आदेशों को मानते
हुए लॉकडाउन का पालन किया जाए और जरुरतमंदों की सेवा भी की जाए, ताकि वे
इस दैवीय विपत्ति के चलते भूखे न रहें। उक्त उद्गार सामाजिक संस्था मंथन
आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन के संरक्षक तपोवन हरिद्वार के गीता ज्ञानेश्वर
डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने जरुरतमंदों के लिए वितरित की जाने वाली
खाद्य सामग्री को भेजते हुए कही। महाराज जी का कहना है कि सभी को अपने
दिल से सहयोग करते हुए जरुरतमंदों की सेवा करनी है। बुद्धि का विवेक और
मन की स्थिरता को बनाए रखना है। इस महामारी ने बड़े-बड़े देशों के शासकों
के घुटने टिकवा दिए हैं। भारत जैसे धर्मपारायण देश के नायक प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने विश्व में मानवता का परिचय देते हुए औषधि भेजकर उनकी
नाउम्मीदों को उम्मीद में बदल दिया। अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति ने
भी मोदी और इनकी नीति की सराहना की है। महाराज जी ने लोगों से आग्रह किया
है कि लॉकडाउन को एकांत के सुख में बदलें, न कि निंदा व चुगली में। सरकार
के आदेशों को मन से स्वीकार करें, अन्यथा मन भारी रहेगा और मनोबल भी
टूटेगा। उन्होंने श्रद्धालुओं व समृद्धशाली लोगों से भी आग्रह किया है कि
वे जरुरतमंदों के लिए भोजन व खाद्य सामग्री की व्यवस्था करें, ताकि इस
महामारी के समय में कोई भी भूखा न रहे। महाराज जी द्वारा जरुरतमंदों को
प्रतिदिन भोजन भी विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध कराया जा रहा है।
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