गुडग़ांव, गीता जयंती का पर्व इस वर्ष कोरोना महामारी
के कारण सीमित ही रखा गया। गीता महोत्सव को ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से ही
लोगों तक पहुंचाया गया। प्रदेश की कला व संस्कृति को बढ़ावा देने में
जुटी हरियाणा कला परिषद द्वारा इस महोत्सव में नुक्कड़ नाटकों व
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन ऑनलाइन ही किया गया। कला परिषद के
निदेशक प्रो. संजय भसीन का कहना है कि कला परिषद द्वारा नाटक द्रोपदी
कटार का मंचन किया गया। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र की भूमि पर
दिए गए गीता रुपी संदेश से मानव जीवन को कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
गीता सनातन धर्म की धरोहर है। गीता के मार्ग पर चलने से न केवल जीवन में
परिवर्तन आता है, अपितु मानव को एक नई दिशा भी मिलती है। सजय भसीन का
कहना है कि परिषद का सदैव यही उद्देश्य रहा है कि कला का विस्तार करते
हुए प्रदेश की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया जाए। उन्होंने बताया कि डा.
अजय गर्ग द्वारा लिखित व अनिल मिश्रा के संगीत से सजे द्रोपटी कटार नाटक
का निर्देशन अंकुश शर्मा द्वारा किया गया। नाटक में महाभारत काल के
प्रसंगों को वर्तमान से जोड़ते हुए अभिनेत्री खुशी गर्ग ने नारी की व्यथा
को चरितार्थ किया। नाटक में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के खिलाफ
भी आवाज उठाने का संदेश दिया गया है।
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