NCRअध्यात्मअर्थव्यवस्थादेशराज्य

समाज में महिलाओं का स्थान होना चाहिए सर्वोपरि : बालयोगी अलखनाथ ओघड़

गुरुग्राम। सनातन संस्कृति का विश्व में विशेष स्थान रहा
है और भारत की सनातन संस्कृति विश्व में भी प्रसिद्ध रही है। महिलाओं को
देश में समुचित सम्मान मिलता रहा है। पुरुषों-महिलाओं में किसी प्रकार का
कोई भेदभाव नहीं किया जाता। महिलाओं को लेकर कट्टरपंथियों को अपनी सोच भी
बदलनी पड़ी है। यह कहना है सिद्धयोग मठ के आचार्य महामंडलेश्वर बालयोगी
अलखनाथ ओघड़ का। उनका कहना है कि सनातन धर्म में महिलाओं की अपनी
प्रतिष्ठा युग-युगांतर से चली आ रही है। दोनों की तुलना करना ठीक नहीं
है। यदि तुलना की जाती है तो वह ऐसा ही होगा, जैसे अग्रि की तुलना जल से
करने का प्रयास किया जाए। महिला-पुरुष दोनों ही जीवन व समाज के लिए अति
महत्वपूर्ण व आवश्यक हैं। यदि कोई इस प्रकार के प्रयास करता है तो यह
सामाजिक ताने-बाने को बिखंडित कर सनातन संस्कृति को समाप्त करने का
प्रयास का एक हिस्सा माना जाएगा। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाना
चाहिए। उनका आश्रम इस दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने ओघड़ समाज से भी
आग्रह किया है कि मातृ शक्ति को समुचित मान-सम्मान दिया जाए। सभी लोगों
को अपनी जमीनी को पूरा मान-सम्मान देना चाहिए। अपना सामाजिक दायित्व
निभाते हुए समाज को खंडित होने से बचाना चाहिए। माता के ऋण को कभी भी
चुकाया नहीं जा सकता।

Comment here