गुरुग्राम, बढ़ती हुई कोरोना महामारी की दूसरी लहर से निपटने
के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारें जुटी हुई हैं। हर सरकार की प्राथमिकता
महामारी से मिलकर निपटने की है। इसके लिए सभी सरकारें वह सब कर रही हैं,
जो कि जरुरी है। कोरोना महामारी का प्रकोप शहरी क्षेत्र में ही नहीं,
अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ता जा रहा है। अधिकांश क्षेत्रों में
कोरोना ने सभी को प्रभावित कर रख दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा कोई
भी घर नहीं बचा है जिसमें वायरल बुखार या कोरोना संक्रमित न मिल रहे हों।
यह महामारी गांव से परदेश तक फैलती नजर आ रही है। समाज का वह वर्ग जो
सदैव लोगों की सहायता के लिए खड़ा दिखाई देता था, लेकिन महामारी की दूसरी
लहर ने ऐसा माहौल पैदा कर दिया है कि उन्हें भी कोरोना से भय लगने लगा
है। गत कोरोना काल में इन समाजसेवियों ने जरुरतमंदों व मजदूर वर्ग की हर
प्रकार से सहायता की थी, लेकिन इस कोरोना काल में ऐसा होता दिखाई नहीं दे
रहा है। हर कोई कोरोना की भयावहता से डरा व सहमा दिखाई दे रहा है।
जानकारों का कहना है कि यह संकट काल है। आपदा ने सभी को घेरा हुआ है। ऐसे
में राजनीतिक रुप से भी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाने चाहिए।
कोई भी सरकार ऐसी नहीं होती, जो अपने देशवासियों को संकट में डाल दे,
अपितु उन्हें संकट से उबारने का प्रयास ही करती हैं। इन जानकारों का कहना
है कि प्रधानमंत्री समय-समय पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना
महामारी के लिए की जा रही तैयारियों की जानकारी भी वर्चुअल बैठक के
माध्यम से लेते रहे हैं और उनको आवश्यक दिशा-निर्देश भी देते रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न विपक्षी दलों के
नेताओं को भी जोडक़र बात की जानी चाहिए। उनका कहना है कि जब प्रधानमंत्री
पुतिन, बाइडेन, बोरिस से बात कर सकते हैं तो विपक्षी नेताओं शरद पंवार,
अखिलेश यादव, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुखबीर बादल, सीताराम येचुरी से
बात करने में क्या समस्या हो सकती है। उनका कहना है कि देश की सर्वोच्च
अदालत ने भी केंद्र व दिल्ली की सरकारों पर तीखी टिप्पणियां की हैं।
लोकतंत्र में सत्ता का संतुलन होना बहुत आवश्यक है। कोरोना महामारी से
निजात दिलाने के लिए चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी व पैरा मेडिकल फोर्स के
कर्मी भी लगातार सेवाएं दे रहे हैं। सरकार को इनका भी पूरा ध्यान रखना
चाहिए और इन्हें समुचित सुविधाएं भी उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि वे स्वस्थ
रहते हुए और अधिक ऊर्जा से अपना कार्य कर सकें। जानकारों का कहना है कि
महामारी से लडऩे के लिए सभी को आर्थिक रुप से भी सरकार की सहायता करनी
चाहिए, ताकि सरकार खुले हाथ से कोरोना संक्रमितों की देखभाल कर सके।
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