गुडग़ांव, जीवन में धैर्य, क्षमा का भाव, मन और
इंद्रियों पर नियंत्रण तथा सात्विक बुद्धि हो तो जीवन में आनंद ही आनंद
है, लेकिन यह आनंद अन्य लोगों को किसी तरह से प्रभावित करने वाला न हो।
सभी चाहते हैं कि लॉकडाउन खुल जाए, कारोबार शुरु हो जाएं लेकिन यह सब
समस्या का समाधान नहीं है। सरकार लॉकडाउन को धीरे-धीरे ही हटाएगी। यदि एक
बार में ही पूरी छूट दे दी गई तो कोरोना का प्रकोप बुरी तरह से बढ़
जाएगा, जिसे संभालना बड़ा मुश्किल होगा। उक्त बात सामाजिक संस्था मंथन आई
हैल्थकेयर फाउण्डेशन के संस्थापक व गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद
महाराज ने खाद्य सामग्री वितरित करते हुए कही। उनका कहना है कि भगवान
श्री कृष्ण ने गीता में आद्यात्मिक, योग अथवा भक्ति को परिभाषित करते हुए
कहा था कि जो दैवीय सदगुणों से युक्त हो और आसुरी राक्षसी व मोहिनी
दुर्गणों से मुक्त हो उसे ही योग कहा गया है। उन्होंने लोगों से यह आग्रह
भी किया कि लॉकडाउन के समय में वे योगासन आदि अवश्य करें और अपने मन में
सकारात्मक विचार लाएं। अपने से जो हो सकता है, वह जरुरतमंदों के लिए
अवश्य करें। इन सब प्रक्रियाओं से जहां लॉकडाउन का पालन हो जाएगा, वहीं
उनका मन भी प्रसन्न रहेगा। व्यर्थ की चर्चा व अफवाहों से बचें। क्योंकि
सुनी हुई बातें हमारे विचार और भावनाओं को प्रभावित कर शांति में बाधक
बनती हैं। विभिन्न स्थानों पर जरुरतमंदों को संस्था की ओर से महाराज जी
ने स्वयंसेवकों के माध्यम से खाद्य सामग्री भी वितरित कराई।
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