गुडग़ांव, एक तरफ तो लॉकडाउन तो दूसरी तरफ हमारी
आवश्यकताएं भी हैं, लेकिन हम सभी को यह नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्र के
प्रति हमारे कर्तव्य अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रशासन की गाड़ी तभी
व्यवस्थित होकर चलते-चलते अपनी मंजिल तक पहुंचेेंगे, जबकि प्रत्येक
नागरिक एक पुर्जें की भांति अपने स्थान पर रहकर अपना कर्तव्य पालन करेगा।
उक्त उद्गार निशुल्क नेत्र चिकित्सा में प्रयासरत मंथन आई हैल्थकेयर
फाउण्डेशन के संस्थापक गीता ज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने
कोरोना वायरस से पीडि़त जरुरतमंदों को खाद्य सामग्री को वितरण के लिए
भेजते हुए कही। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि वाहन का टायर यह
कह दे कि मुझे कुछ दिन स्टेयरिंग के स्थान पर फिट करो, क्योंकि क्या
मैंने ही घिसने का ठेका लिया? भले ही वाहन की टंकी पेट्रोल से भरी क्यों
न हो, लेकिन वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाएगा। महाराज जी का कहना है
कि प्रगति के नाम पर केवल आर्थिक समस्या का समाधान ही नहीं और भी बहुत
समस्याएं हैं जो चुनौती बनी हुई हैं। कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी
मानवता को प्रभावित करके रख दिया है। इसका मुकाबला सभी को सामूहिक रुप से
करना होगा। सरकार व जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए
लॉकडाउन में अपने घरों में ही रहना होगा। तभी इस महामारी के प्रकोप से
बचा जा सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा है कि कोरेाना महामारी के
कारण भले ही देव स्थल बंद हुए हों, लेकिन कर्तव्य पालक जैसे कर्मों पर
कोई प्रतिबंध नहीं है। लॉकडाउन का पालन करना अच्छे कर्मों के समान ही है।
महाराज जी लॉकडाउन के प्रथम चरण से ही जरुरतमंदों को खाद्य सामग्री
उपलब्ध कराने के कार्यों में जुटे हैं।
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