गुडग़ांव, भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व
आगामी 22 अगस्त, रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। बहनों ने अपने
सामथ्र्यानुसार भाईयों को राखी बांधने की तैयारियां पूरी कर ली हैं।
उन्होंने भाईयों के लिए राखियां भी खरीदी हैं। उधर, भाईयों ने भी अपनी
बहनों को देने के लिए उपहार आदि की व्यवस्था की है। बाजारों में 5 रुपए
से लेकर 500 रुपए तक की राखियां उपलब्ध हैं। पौराणिक गं्रथों में भी
उल्लेख मिलता है कि बहनें अपने भाईयों की दीर्घायु की कामना करते हुए
अपनी रक्षा करने की उम्मीद भाईयों से करती हैं। भाई भी बहनों पर किसी
प्रकार की विपत्ति पडऩे पर उनका जहां पूरा साथ देते हैं, वहीं उन्हें हर
तरह से सहयोग भी करते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।
रक्षा का यह सूत्र मात्र भाई-बहन के संबंधों तक ही सीमित नहीं है।
गुरु-शिष्य और पति-पत्नी के संबंधों की भी मजबूत कड़ी है। पंडित डा. मनोज
शर्मा का कहना है कि भविष्य पुराण के अनुसार जब दानवों के राजा बलि ने
देवताओं पर आक्रमण किया था तो देवराज इंद्र की पत्नी शचि ने भगवान विष्णु
से बलि पर विजय प्राप्त करने का उपाय पूछा था। भगवान विष्णु ने उन्हें एक
धागा देते हुए कहा था कि इसे अपने पति की कलाई में बांध देना, जो उनकी
जीत सुनिश्चित करेगा। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि कोई भी राजा जब
युद्ध के लिए कूच करता था तो रानी उनकी कलाई पर विजयी होने के लिए धागा
बांधती थी। इसी प्रकार महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण व द्रोपदी के भाई-बहन
के संबंध भी बड़े प्रसिद्ध रहे हैं। शिशुपाल पर सुदर्शन चक्र छोडऩे के
दौरान भगवान कृष्ण की अंगुली से रक्त निकलता देख द्रोपदी ने अपने आंचल का
एक कोना चीरकर कृष्ण को बांध दिया था। कालांतर में दुशासन ने जब भरी सभा
में द्रोपदी को निर्वस्त्र करने की कुचेष्टा की थी तो भगवान कृष्ण ने
चीरदान कर उनकी अस्मिता को बचाया था। बाजारों में भी उत्सव जैसा माहौल
बना हुआ है। विभिन्न प्रकार की राखियों से शहर का मुख्य सदर बाजार अटा
दिखाई दे रहा है। उधर हलवाईयों की दुकानों पर भी मिष्ठान आदि खरीदने
वालों की भीड़ दिखाई देनी शुरु हो गई है। शहर के मुख्य सदर बाजार सहित
अन्य बाजारों में भी महिलाएं अपने भाईयों के लिए राखियां खरीदती दिखाई
देनी शुरु हो गई हैं।
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