गुरुग्राम। सनातन धर्म में पितरों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। माना जाता है कि व्यक्ति पर पितरों का आशीर्वाद बना रहे तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। लेकिन अगर पितृ नाराज हो जाएं तो इससे जीवन की समस्याएं बढ़ भी सकती हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितृ यानी पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देते हैं। यह भी माना जाता है कि व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष लगने पर उसे तरह-तरह की पीड़ा झेलनी पड़ती है। पितृ दोष पितरों के नाराज होने पर लगता है। इसके अलावा भी पितृ दोष लगने के कई कारण हो सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए शास्त्रोंं में कुछ नियमों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करना बेहद जरूरी माना गया है। विशेष रूप से इस दौरान कुछ वस्तुएं खरीदना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान केवल पितरों को तर्पण और दान करना ही शुभ माना जाता है। किसी भी प्रकार का नया कार्य, उत्सव या खरीदारी अशुभ फल देने वाला हो सकता है। इस बार पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को समाप्त होंगे। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान अर्पित करते हैं।
नमक
उनका कहना है कि पितृपक्ष में नमक का दान करना शुभ माना जाता है, लेकिन इस समय नमक खरीदना वर्जित है। मान्यता है कि पितृपक्ष में नमक खरीदने से घर में बीमारियां और कलह का वातावरण पैदा हो सकता है। इसलिए पितृपक्ष शुरू होने से पहले ही नमक खरीद लेना चाहिए।
सरसों का तेल
उनका कहना है कि पितृपक्ष में सरसों का तेल खरीदना भी निषेध माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में सरसों का तेल खरीदने से पितरों के साथ – साथ शनि देव भी अप्रसन्न हो जाते हैं। इससे घर – परिवार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
झाड़ू
डा. शर्मा का कहना है कि इस समय झाड़ू खरीदना आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर डाल सकता है। कहा जाता है कि पितृपक्ष में झाड़ू खरीदने से धन की हानि हो सकती है और घर में दरिद्रता का वास हो सकता है।
लोहे और नुकीली वस्तुएं
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि लोहे की वस्तुएं या किसी भी प्रकार की नुकीली चीज पितृपक्ष में नहीं खरीदनी चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे पितृ नाराज हो सकते हैं और घर पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है।
नई वस्तुएं
उनका कहना है कि पितृपक्ष में किसी भी प्रकार की नई वस्तु जैसे-नए कपड़े, आभूषण (सोना-चांदी), वाहन, और जमीन-घर खरीदना वर्जित है। इन चीजों की खरीदारी से पितृ रुष्ट हो सकते हैं।
बही – खाता या नया बिजनेस
मनोज शर्मा का कहना है कि पितृपक्ष में नया बिजनेस शुरू करना, बही-खाता खोलना या किसी नई डील को फाइनल करना अशुभ माना गया है। यदि ऐसा करना जरूरी हो तो पितृपक्ष शुरू होने से पहले या उसके समाप्त होने के बाद ही करें।
नए घर की छत की ढलाई
उनका कहना है कि अगर आप नए घर का निर्माण करा रहे हैं, तो पितृपक्ष के दौरान छत की ढलाई या किसी बड़े निर्माण कार्य से बचना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष लग सकता है।
विवाह या शुभ कार्य से बचें
उनका कहना है कि पितृपक्ष में किसी भी तरह का शुभ कार्य वर्जित माना गया है। विवाह तय करना, लडक़ा-लडक़ी देखना या रिश्ते की बात पक्की करना इस समय शुभ फलदायी नहीं होता। ऐसे काम पितृपक्ष से पहले या इसके समाप्त होने के बाद करने चाहिए।
पितृ पक्ष में क्या करें ?
डा. मनोज शर्मा का कहना है कि पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण अवश्य करें। दान में अन्न, वस्त्र, तिल, चावल, गुड़, नमक, और दक्षिणा दें। पितृपक्ष जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष पुण्यकारी माना जाता है।