गुडग़ांव, बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर लगाए गए बिजली
चोरी करने के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज अंतरप्रीत सिंह की अदालत
ने बिजली निगम के आरोपों को खारिज करते हुए उपभोक्ता को बड़ी राहत दी है।
अदालत ने उपभोक्ता द्वारा निगम में जमा कराई गई एक लाख 9 हजार 255 रुपए
जुर्माना राशि को वापिस करने के आदेश भी दिए हैं। अदालत ने अपने आदेश में
कहा है कि यदि बिजली निगम 2 माह के भीतर जुर्माने की राशि उपभोक्ता को
वापिस नहीं करती है तो उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगेगा। उपभोक्ता के
अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के गांव चौमा
के बबलू ने जिला अदालत में वर्ष 2017 की 3 जुलाई को बिजली निगम के खिलाफ
मामला दायर किया था कि उसने वर्ष 2015 की 21 अप्रैल को बिजली निगम में
शिकायत की थी कि उसके यहां बिजली सुचारु रुप से नहीं आ रही है। उसने यह
आग्रह भी निगम से किया था कि यह भी देखा जाए कि उसका मीटर खराब तो नहीं
हो गया। बिजली निगम ने पुराना मीटर उतारकर उसकी जगह नया मीटर लगा दिया और
उसके मीटर को चैक करने के लिए निगम की लैब में भेज दिया गया। वर्ष 2015
की 16 मई को निगम ने उपभोक्ता पर आरोप लगाए कि उसके मीटर की सील टूटी हुई
पाई गई है और उस पर एक लाख 9 हजार 255 रुपए का जुर्माना लगा दिया तथा
धमकी भी दी कि यदि उसने जुर्माने की राशि जमा नहीं कराई तो उसका बिजली का
कनेक्शन काट दिया जाएगा। उपभोक्ता ने कनेक्शन कटने के डर से जुर्माने की
राशि निगम में जमा कर दी थी। मामला अदालत में चला। बिजली निगम द्वारा
अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उनसे उपभोक्ता पर बिजली चोरी के लगे
आरोप सिद्ध नहीं हो पाए। अदालत ने मामले को गलत पाते हुए बिजली निगम को
आदेश दिया कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि को वापिस किया जाए।
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