गुरुग्राम, पति की दीर्घायु के लिए वीरवार को सुहागिनों ने
वट सावित्री व्रत रखकर विधि-विधान के अनुसार वट वृक्ष की पूजा-अर्चना भी
की। प्रात: से ही शहर के विभिन्न मंदिरो में महिलाएं वट वृक्ष की
परिक्रमा कर पूजा-अर्चना करती दिखाई दी। अधिकांश महिलाओं ने अपने घरों
में ही वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की और अपने पति व बच्चों की दीर्घायु की
कामना भी की। वट सावित्री व्रत को लेकर जहां महिलाएं उत्साहित दिखाई दी,
वहीं उन्होंने वट (बरगद) के पौधे लगाने का संकल्प लिया। उनका कहना है कि
कोरोना काल में ऑक्सीजन के लिए लोगों को भटकना पड़ा था और बहुतों ने
ऑक्सीजन की कमी के कारण दम भी तोड़ दिया था तो इसी सबको देखते हुए
पर्यावरण में प्राकृतिक ऑक्सीजन के लिए लोगों में अधिक से अधिक पौधारोपण
के प्रति जागरुकता बढ़ाई जा रही है और लोग पौधारोपण के प्रति उत्साहित भी
दिखाई दे रहे हैं। मानसून के मौसम में बड़ी संख्या में पौधे रोपित किए
जाएंगे। बरगद के पौधे को विशेष महत्व दिया जाएगा। कहा जाता है कि बरगद का
पौधा प्राकृतिक ऑक्सीजन बड़ी मात्रा में देता है। वैज्ञानिकों का भी
मानना है कि बरगद का पेड़ छाया देने के साथ-साथ ठंडक भी देता है। इन
वृक्षों की आयु कई सौ वर्ष होती है। बरगद का पौधा लगाने के बाद इसकी अधिक
देखभाल की भी जरुरत नहीं होती। वैज्ञानिकों का मानना है कि कई स्थानों पर
तो 500 साल पुराने बरगद के पेड़ आज भी लोगों को ठंडक के साथ छाया भी दे
रहे हैं। अन्य वृक्षों की अपेक्षा बरगद का वृक्ष 5 गुणा ऑक्सीजन देता है।
कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान
के जीवन के लिए व्रत रखा था। उनकी पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर ही यमराज
को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े थे। प्राचीन काल से ही महिलाएं अपने पति
की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत करती करती आ रही है। यह पूजन
अमावस्या के दिन ही होता है।
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