गुरुग्राम । अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं गुरुग्राम के कई अस्पतालों में उपलब्ध हैं। विदेशों से भी इन सेवाओं का लाभ लेने के लिए प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में विदेशी गुरुग्राम आ रहे हैं। इसलिए विश्व में गुरुग्राम मेडिकल हब के नाम से प्रसिद्ध है। इराक के 58 साल के हादी मुस्तफा हमाद को गंभीरावस्था में उसके परिजन गुरुगाम के पारस अस्पताल लेकर आए थे। उन्हें बताया गया था कि हाजी मुस्तफा का हार्ट केवल 15 प्रतिशत ही काम कर रहा है और वह मल्टी-ऑर्गन फेलियर से ग्रसित था और उसे कई जगह हार्ट ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी गई थी, लेकिन अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाएं पारस में उपलब्ध होने के कारण पारस के कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर और यूनिट हेड डॉ. अमित भूषण ने वीरवार को अस्पताल परिसर में आयोजित प्रैसवार्ता में उक्त जानकारी दी। उनका कहना है कि मरीज की टीर थैरेपी हुई। इस इलाज में उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की ज़रूरत नहीं पड़ी। मित्राक्लिप (टीर) ने लीक हो रहे वाल्व को ठीक करके हार्ट की धडक़न और पंपिंग एफिशिएंसी को पहले जैसा सामान्य बनाया। उनका कहना है कि मरीज को कुल 10 दिन तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा। इन 10 दिनों में वह 5 दिन वेंटिलेटर पर रहा और पूरी तरह ठीक होने के बाद और घर पर चल रही देखभाल के तहत उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। गत 11 नवम्बर को हार्ट ट्रांसप्लांट किए बिना ही उन्हें ट्रांसकैथेटर एज-टू-एज रिपेयर (टीर) थैरेपी के तहत उनका उपचार किया गया। डा. भूषण का कहना है कि उनकी टीम में 14 विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल रहे, जिन्होंने उनके इस उपचार में उनका पूरा सहयोग दिया। मरीज के सदस्य फारिस हमाद का कहना है कि हम जितने भी हॉस्पिटल गए, सबने कहा कि ट्रांसप्लांट के अलावा कोई इलाज नहीं बचा है। हमने लगभग मान लिया था कि अब कुछ नहीं हो सकता। पारस अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बिना हार्ट ट्रांसप्लांट के भी उनका उपचार किया जा सकता है और वह उपचार उन्होंने किया, जो हमारे लिए एक ऐसा चमत्कार था, जिसकी हमने कभी उम्मीद नहीं की थी। प्रैसवार्ता में डॉ. सुशांत श्रीवास्तव, डॉ. नदीम, डॉ. अंबिका, डॉ. आदिल, डॉ. फैसल मुफ्ती, डॉ. नीतीश शर्मा, डॉ. नसरीन, डॉ. संगमित्रा और डॉ. रंजन आदि शामिल
मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरुरत ही नहीं पड़ी : डा. भूषण

