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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाएगा 12 को नंदगांव में 11 को मनाएंगे जन्माष्टमी कोरोना के कारण श्रद्धालु नहीं कर सकेंगे पूजा-अर्चना 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रहेगा 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक

गुडग़ांव, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का पर्व भाद्रपद
के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता रहा है। इस वर्ष यह पर्व 11
व 12 अगस्त यानि कि 2 दिन मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण की मथुरा नगरी
में जन-जन के आराध्य गोविंद का यह 5247वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने की
तैयारियां चल रही बताई जा रही हैं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि 12
अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाना ज्यादा उत्तम है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान
मथुरा में भी 12 अगस्त को ही यह पर्व मनाया जाएगा। नंदबाबा के गांव
नंदगांव में जन्माष्टमी एक दिन पूर्व यानि कि 11 अगस्त को मनाई जाएगी।
पंडित मुकेश शर्मा का कहना है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के
बाल स्वरुप की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भगवा श्रीकृष्ण का जन्म हुआ
था। उनका कहना है कि 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात्रि 12 बजकर 5 मिनट
से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक का है। यानि कि पूजा की अवधि 43 मिनट तक
रहेगी। उनका ये भी कहना है कि बहुत से लोग जन्माष्टमी के दिन प्रात: या
सायं भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन यह ध्यान देने
योग्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। ऐसे में उस समय
पूजा करना अधिक लाभकारी माना जाता है। पूजा-अर्चना में स्वच्छ बर्तनों का
इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। जन्माष्टमी के
दिन झांकी निकालने की भी प्राचीन परंपरा है। मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण
की जन्म से लेकर उनके विभिन्न स्वरुपों की झांकिया प्रदर्शित की जाती रही
हैं। श्रद्धालु इन मनमोहक झांकियों का आनंद उठाते रहे हैं। भगवान
श्रीकृष्ण को जन्माष्टमी के दिन पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमाओं को श्रद्धालु द्वारा अवश्य पहनानी चाहिए,
तभी पूजा-अर्चना सफल मानी जाती है। ज्योतिषाचार्यों का यह भी कहना है कि
नंदगांव के नंदबाबा मंदिर में 11 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया
जाएगा। उनका कहना है कि रक्षाबंधन के 8वें दिन भगवान श्रीकृष्ण का
जन्मोत्सव मनाया जाता है। 12 अगस्त को ही वृंदावन स्थित बांकेबिहारी
मंदिर, मथुरा स्थित द्वारिकाधीश, गोकुल के नंदभवन व वंृदावन के प्रेम
मंदिर में भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण को झूला
झूलाने की भी प्राचीन परंपरा है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी के
चलते जिले के सभी मंदिर पूजा-अर्चना करने के लिए बंद किए हुए हैं। इसलिए
श्रद्धालु मंदिरों में पूजा-अर्चना नहीं कर सकेंगे। उन्हें अपने घरों में
ही रहकर अपने-अपने तरीकों से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनानी होगी। कोरोना के
कारण मंदिरों में केवल प्रबंधन से जुड़े लोग ही मौजूद रहेंगे। कुछ बड़े
मंदिरों ने तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान से महाभिषेक का टीवी चैनलों के माध्यम
से लाइव प्रसारण की व्यवस्था भी हुई बताई जाती है।

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