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भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी आज

गुरुग्राम। सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है। हिन्दू परंपराओं में एकादशी को बेहद पवित्र और शुभ माना गया है। एक वर्ष में 24 एकादशी आती हैं और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पापांकुशा एकादशी अश्विन शुक्ल पक्ष में आती है। पापांकुशा एकादशी वीरवार को सायं 7 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ होकर आज शुक्रवार को सायं 6 बजकर 32 मिनट पर संपन्न होगी। उदया तिथि के अनुसार पापांकुशा एकादशी का आज शुक्रवार को ही रखा जाएगा।  भगवान विष्णु की पूजा का शुभ समय प्रात: 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक होगा। मान्यता है कि इस मुहूर्त में पूजा करने से पापों का नाश होता है, पुण्य बढ़ते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।  
क्या है पापांकुशा एकादशी का महत्व
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति को दिव्य फल प्राप्त होता है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर सोना, तिल, गाय, अन्न, जल, छाता और जूते का दान करने से पिछले जन्म के पाप भी मिट जाते हैं। कहा जाता है कि यह व्रत यमलोक के दुखों से बचाता है और सुख-समृद्धि देता है। एकादशी का व्रत ग्रह दोषों को शांत करता है और मन-तन को स्वस्थ रखता है। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने वाले पर कमजोर चंद्रमा का असर नहीं पड़ता।
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
उनका कहना है कि एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें और पीले फूल, खासकर गेंदे, अपराजिता और हरसिंगार चढ़ाएं। भगवान को तुलसी दल अर्पित करें। अंत में धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य अर्पित कर पूजा पूरी करें।