गुडग़ांव3 दिन पूर्व मानसून की हुई बारिश ने शहर के
विभिन्न आवासीय व व्यवसायिक क्षेत्रों को जलमग्र कर रख दिया था। जलभराव
की समस्या से औद्योगिक क्षेत्र भी अछूते नहीं रहे थे। हालांकि इन
क्षेत्रों से भरे हुए जल को निकालने की कार्यवाही नगर निगम व जीएमडीए
द्वारा की जा रही है। मानसून की पहली ही बारिश ने जीएमडीए व नगर निगम के
बचाव कार्यों की पोल खोलकर रख दी थी। गुडग़ांव को प्रदेश की आर्थिक
राजधानी के रुप में भी जाना जाता है। गुडग़ांव से भारी राजस्व की प्राप्ति
प्रदेश सरकार को होती है, लेकिन इस सबके बावजूद भी शहरवासियों व
उद्यमियों को भारी जलभराव की समस्या से सदैव जूझना पड़ता है। हर वर्ष यही
कहा जाता है कि इस वर्ष जलभराव की समस्या नहीं होगी। जलभराव से बचाव के
लिए करोड़ों रुपए का बजट भी रिलीज किया जाता है, लेकिन इस सबके बावजूद भी
जलभराव की समस्या से किसी को भी निजात नहीं मिल पा रही है। विभिन्न
ओद्योगिक क्षेत्रों उद्योग विहार, आईडीसी, कादीपुर, दौलताबाद, नरसिंहपुर,
खेडक़ीदौला, आईएमटी मानेसर, सैक्टर 37 आदि औद्योगिक क्षेत्रों में जलभराव
की समस्या का सामना इन क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक प्रतिष्ठानों को
करना पड़ता है। उद्यमियों का कहना है कि इस प्रकार की ठोस योजना बनाई
जाए, ताकि भविष्य में औद्योगिक क्षेत्रों को जलभराव की समस्याओं का सामना
न करना पड़े। उद्यमियों का कहना है कि जमीनी स्तर पर ही कार्य होना
चाहिए। कागजी कार्यवाही से अब काम नहीं चलेगा। उद्यमियों का यह भी कहना
है कि जलभराव की समस्या को देखते हुए नए उद्यमी इन औद्योगिक क्षेत्रों
में अपनी इकाईयां स्थापित करने से भी हिचकिचाते हैं। हरियाणा इंडस्ट्रियल
एसोसिएशन के संस्थापक केके कपूर का कहना है कि पानी की निकासी की समुचित
व्यवस्था होनी चाहिए। प्रशासन सदैव आश्वासन देता है, लेकिन हकीकत यह है
कि जमीनी स्तर पर जलभराव से बचाव के लिए जो कार्यवाही की जानी चाहिए, वह
नहीं होती। जिससे औद्योगिक निवेश व विस्तार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता
जा रहा है जो औद्योगिक क्षेत्रों व सरकार के लिए शुभ संकेत नही हैं।
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