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प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों का मुख्यमंत्री कराएं समाधान : अरुण शर्मा

गुरुग्राम। हरियाणा एक नवम्बर 1966 को नए राज्य के रुप में अस्तित्व में आया। उस समय पंजाब व हरियाणा के बीच 60 व 40 प्रतिशत के रुप में समझौता हुआ था, लेकिन 60 साल में आज तक न तो हरियाणा को अपनी राजधानी मिली और न ही अलग उच्च न्यायालय मिल सका। इतना ही नहीं, पंजाब यूनिवर्सिटी में भी हरियाणा को हिस्सा नहीं मिल सका है तथा सतलुज-यमुना (एसवाईएल) नदीं का पानी भी हरियाणा को नहीं मिला है। उक्त उद्गार जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव एवं भगवान श्री परशुराम सेवादल के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित अरुण शर्मा ने जिला अदालत परिसर में मनाए गए हरियाणा दिवस पर व्यक्त किए हैं। उनका कहना है कि नवम्बर 1966 से पंडित भगवत दयाल शर्मा, चौधरी बंशीलाल, चौधरी देवीलाल, चौधरी भजनलाल, चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, चौधरी ओमप्रकाश चौटाला, बनारसी दास गुप्ता, मास्टर हुकम सिंह, मनोहरलाल मुख्यमंत्री रहे और अब नायब सिंह सैनी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के राजनेताओं ने उक्त समस्याओं का समाधान कराने का प्रयास ही नहीं किया। दक्षिण हरियाणा में उच्च न्यायालय के बैंच की मांग उठती रही है। जितेंद्र कौशिक का कहना है कि प्रदेश की जनता एसवाईएल के पानी के लिए तरस रही है। प्रदेश का युवा वर्ग पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सेदारी के लिए तरस रहा है। प्रदेश को राजधानी तक भी नहीं मिल सकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मांग की है कि उक्त ज्वलंत मुद्दों का तुरंत समाधान कराया जाए ताकि प्रदेशवासियों को उनका बाजिव अधिकार मिल सके। तभी हरियाणा दिवस को मनाने की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। उन्होंने विभिन्न राजनैतिक दलों से आग्रह किया है कि वे एकजुट होकर उक्त मुद्दों के समाधान में अपना सहयोग करें। इस अवसर पर अधिवक्ता निशिभूषण कौशिक, जितेंद्र कौशिक, सुदर्शन, अश्विनी शर्मा, निशा चौहान, निकिता वर्मा, मेघा वर्मा, एलीना सेनापति, सुधीर चौहान, सौरभ कौशिक, वाईपी शर्मा, योगेश वशिष्ठ आदि मौजूद रहे।