गुडग़ांव, हरियाणा सरकार द्वारा नए उद्योगों में एक हजार
दिन के लिए फैक्ट्री एक्ट लागू न करने का फैसला लिया है, जिसका श्रमिक
संगठनों ने विरोध भी करना शुरु कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार का यह
फैसला श्रमिकों को गुलामी व बंधुआगिरी की ओर लेकर जाएगा। श्रमिक संगठन
सीटू की प्रदेशाध्यक्ष सुरेखा, महासचिव जयभगवान, उपाध्यक्ष सतबीर सिंह व
विनोद कुमार का कहना है कि सरकार का यह फैसला श्रमिकों पर एक नया कहर
बरपाएगा। यानि कि 3 साल तक नए उद्योगों में किसी भी प्रकार के श्रम कानून
लागू नहीं होंगे। हालांकि सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की 2
धाराओं 5 (ए), 36 (सी) को एक हजार दिन तक सस्पेंड करने को लेकर केंद्र से
मंजूरी भी मांगी है। श्रमिक नेताओं का कहना है कि सरकार ने पूंजीपतियों
को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह निर्णय लिया है। इस निर्णय को तुरंत वापिस
लिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को किसी भी रुप में इस बारे में स्वीकृति
नहीं देनी चाहिए। उनका कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद उद्योगों में
कार्यरत श्रमिकों के वेतन में 20 प्रतिशत से 50 ्रप्रतिशत तक की कटौती की
जा रही है। उन्होंने आरोप लगाए कि बड़े पैमाने पर स्थायी मजदूरों को
नौकरी से निकाला जा रहा है। उनके स्थानों पर कैजुअल व ठेकेदार के
श्रमिकों को रखा जा रहा है, जिससे श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट भी पैदा
हो गया है। श्रमिक नेताओं वीरेंद्र कुमार, एसएल प्रजापति, धर्मवीर व
परभातीलाल ने सरकार से मांग की है कि सरकार श्रम कानूनों को सख्ती से
लागू कराए तथा श्रमिकों को बंधुआ बनाने वाले अपने फैसले को तुरंत निरस्त
करे, अन्यथा सीटू को अन्य श्रमिक संगठनों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन शुरु
करना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की ही होगी।
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