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देवदूत फूड बैंक प्रकरण3 दिन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद अदालत ने आरोपी को भेजा न्यायिक हिरासत में जेल

गुरुग्राम, सामाजिक संस्था देवदूत फूड बैंक के संचालक
पंकज गुप्ता को उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में 3 दिन की
रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद वीरवार को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मधुर
बजाज की अदालत में पुलिस विभाग द्वारा गठित एसआईटी द्वारा पेश किया गया।
पुलिस ने अदालत से आरोपी का रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं की, जिस पर अदालत
ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया। अब इस
मामले में आगामी 22 अप्रैल को सुनवाई होगी। इस मामले में एक नया मोड़ यह
आया कि पंकज गुप्ता की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कुलभूषण भारद्वाज ने
अपना वकालतनामा यह दलील देते हुए वापिस ले लिया कि वह फरिश्ते गु्रप
संस्था से जुड़े हैं और यह संस्था मासूम बच्चियों से जुड़े दुष्कर्म
मामले आदि की निशुल्क पैरवी करती रही है। अब आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत
मामला दर्ज कर हो गया है तो अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए
आरोपी की पैरवी नहीं कर सकते। उसी समय इस मामले में एक वरिष्ठ अधिवक्ता
आरोपी की ओर से अदालत में पेश हुए और उन्होंने आरोपी के मामले की पैरवी
करने के लिए अपना वकालतनामा अदालत में पेश कर दिया। प्राप्त जानकारी के
अनुसार इस मामले में पुलिस द्वारा गठित एसआईटी ने काफी होमवर्क किया है।
कई नाबालिकाओं के बयान भी आरोपी के खिलाफ अदालत में दर्ज कराए गए हैं।
एसआईटी ने आरोपी के मोबाइल, लैपटॉप व गाड़ी भी अपने कब्जे में ले ली है,
ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके। शिकायतकर्ता नाबालिकाओं की
नियमानुसार मेडिकल जांच भी कराई गई है। इस मामले की चाईल्ड वेलफेयर कमेटी
(सीडब्ल्यूसी) भी जांच कर रही है, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। गौरतलब
है कि संस्था के संचालक पंकज गुप्ता 5 रुपए मात्र में जरुरतमंदों को
पिछले कई वर्षों से भोजन उपलब्ध कराते आ रहे हैं। जैकबपुरा स्थित राजकीय
कन्या विद्यालय की शिक्षिका सरोज यादव ने पुलिस में शिकायत दी थी कि पंकज
गुप्ता स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाली कई छात्राओं को
संस्था के कार्यों में लगाए हुए हैं, जिसकी जानकारी न तो स्कूल की
शिक्षिकाओं को है और न ही उनके अभिभावकों को। पुलिस ने उनकी शिकायत पर
पंकज गुप्ता के खिलाफ पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर
जांच शुरु कर दी थी। पुलिस के उच्चाधिकारियों ने मामले की गंभीरता को
देखते हुए एसआईटी का गठन कर दिया था। एसआईटी ने अदालत से आरोपी को 6 दिन
की रिमांड पर लेकर गहनता से जांच की और जांच के बाद आरोपी को अदालत में
पेश कर उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आग्रह अदालत से किया और अदालत ने
उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

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