गुडग़ांव, प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं कम होने का नाम
नहीं ले रही हैं। प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन द्वारा इन प्रवासी
श्रमिकों व उनके परिजनों को बड़ी संख्या में टे्रनों व बसों से उनके गृह
प्रदेश तो अवश्य भेज दिया है, लेकिन इन लोगों का घरेलू सामान किराए के
मकान में गुडग़ांव में रह गया है। अब इन प्रवासी श्रमिक सामूहिक प्रयासों
से इस घरेलू सामान को अपने घरों में भेजने की व्यवस्था में जुटे दिखाई दे
रहे हैं। इन श्रमिकों का कहना है कि जब उनके परिजनों को उनके गृह प्रदेश
भेजा गया तो हर परिवार में से एक परिवार का सदस्य गुडग़ांव में ही रह गया
था, ताकि वह किराए के मकान में रखे घरेलू सामान की देखभाल कर उसे अपने घर
भेजने की व्यवस्था कर सके। उसी को देखते हुए इन प्रवासी श्रमिकों ने
सामूहिक रुप से ट्रक की व्यवस्था कर सामान को भेजने के कार्य में जुटे
हैं। पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के
अधिकांश श्रमिक लक्ष्मण विहार, सूरत नगर आदि क्षेत्रों में सहपरिवार
पिछले कई वर्षों से निवास करते आ रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते
जहां उनका कारोबार छूट गया, वहीं उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना भी
करना पड़ा। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार तो अपने घर भेज दिए हैं, लेकिन
अब घरेलू सामान को भेजने की व्यवस्था में वे लगे हैं। उनका कहना है कि
करीब एक लाख 20 हजार में पश्चिम बंगाल में सामान ले जाने के लिए ट्रक की
व्यवस्था की है। एक ट्रक में करीब 20-25 प्रवासियों का घरेलू सामान आ
जाएगा, जिसको आपस में बराबर-बराबर बांट लिया है। किसी एक पर भी बोझ नहीं
पड़ेगा। क्योंकि अकेला आदमी पूरे ट्रक की व्यवस्था नहीं कर सकता। इन
प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि गत दिवस देर सायं पश्चिम बंगाल के लिए 2
ट्रकों में सामान भरकर रवाना किया गया है। यही क्रम आने वाले दिनों में
भी जारी रहेगा। प्रवासी श्रमिक अपना सामान एक जगह एकत्रित कर ट्रक की
व्यवस्था करने में जुटे हैं।
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