गुडग़ांव, हर व्यक्ति आजकल डरा व सहमा सा हुआ है। कोरोना
वायरस को लेकर उसके भीतर एक प्रकार का भय उत्पन्न हो गया है, जो
स्वास्थ्य व समाज के हित में नहीं है। भयानक परिस्थितियों से इंसान गुजर
रहा है। यह समस्या केवल भारत की ही नहीं, अपितु पूरे विश्व को कोरोना से
जूझना पड़ रहा है। आद्यात्मिकता के बल पर ही कोरोना के भय से मुक्ति मिल
सकती है। यह कहना है धार्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज की वरिष्ठ प्रवक्ता
बीके वीणा का, जो उन्होंने शनिवार को जिले के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में
अवर कमिंग फीयर ऑनलाइन कार्यक्रम में कही। उनका कहना है कि कोरोना का असर
हर क्षेत्र में पड़ा है। यह प्रभाव अधिक दिनों तक रहने वाला नहीं है। इस
महामारी का सभी को सामूहिक रुप से मिलकर सामना करना है। परिस्थितियां
सदैव एक सी नहीं होती। उनमें परिवर्तन आता रहता है। इन परिस्थितियों से
ऊपर उठना होगा, जो मन में कोरोना को लेकर भय है, अपने मन से उसको निकालना
होगा। यदि नहीं निकाला गया तो यह भय मानव जीवन को अंधेरे मे डूबो सकता
है। अपने भीतर से इस भय को निकालने का जज्बा जगाना होगा। उनका कहना है कि
भय कुछ भी नहीं है, मानव मन का भ्रम है। जब हम अंदर से कमजोर होंगे तो भय
और अधिक घेर लेगा। इस भय से कैसे निकलना है, इस पर सभी को विचार करने की
जरुरत है। उन्होंने भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के संदेश का उल्लेख
करते हुए कहा कि मन की कमजोरी के कारण ही इंसान भयभीत होता है। जब इंसान
परमात्मा में मन लगा लेता है तो वह भय से मुक्त हो जाता है। उनका कहना है
कि भय से मुक्ति पाने के लिए आद्यात्मिकता जरुरी है। परिवर्तन जीवन का
नियम है। जब इसको मन से स्वीकार कर लेंगे तो भय से स्वत: ही मुक्ति मिल
जाएगी। कोरोना वायरस परिस्थितियों का बदलाव है। उन्होंने नियमित रुप से
व्यायाम व मानसिक मेडिटेशन करने का आग्रह भी सभी से किया है, ताकि कोरोना
रुपी भय को मन से निकाला जा सके और कोरोना से मुक्ति भी मिल सके। कोरोना
के रुप में आई अनिश्चितता को स्वीकार कर आत्मबल द्वारा उसका सामना करना
होगा, भय खुद
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