गुडग़ांव, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में
गुडग़ांव के निजी अस्पतालों ने अपनी मनमर्जी चलाई हुई है, जिसका खामियाजा
कोरोना पीडि़तों को भुगतना पड़ रहा है। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व
प्रधान अधिवक्ता चौधरी संतोख सिंह ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि
निजी अस्पतालों में कोरोना पीडि़तों को प्रबंधन की मनमर्जी का शिकार होना
पड़ रहा है। अनाप-शनाप बिल बनाए जा रहे हैं। इन अस्पतालों की लूट पर लगाम
लगाई जाए, ताकि पीडि़तों को कुछ राहत मिल सके। उनका कहना है कि देश के
उच्चतम न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कोरेाना महामारी के इलाज में
एकरुपता लाने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना है कि विशेषज्ञों
की टीम को अस्पतालों का दौरा करना चाहिए और जरूरी उपाय करने के लिए ठोस
कदम उठाए जाने जरुरी हैं। उनका कहना है कि उच्चतम न्यायालय के इन
दिशा-निर्देशों के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली में सभी निजी अस्पतालों
में एक समान उपचार राशि तय कर दी है। उन्होंने आरोप लगाए कि गुडग़ांव में
निजी अस्पताल प्रबंधन कोरेाना पीडि़तों से उपचार के नाम पर लाखों रुपए
ऐंठ रही है। उनका तो यह भी कहना है कि कोरोना के नाम पर 8-10 लाख रुपए तक
भी वसूले जा रहे हैं और यह हाल तो तब है जबकि कोरेाना का अभी तक कोई
उपचार नहीं खोजा जा सका है। सरकार ने इन निजी अस्पतालों को रियायती दरों
पर भूमि भी उपलब्ध कराई हुई है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि
दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में भी कोरोना के उपचार के लिए एक समान उपचार
राशि निश्चित कर निजी अस्पतालों पर लगाम लगाई जाए, ताकि आम आदमी कोरोना
के नाम पर इन अस्पतालों की लूट से बच सके।
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