गुडग़ांव, वैश्विक कोरोना महामारी देशवासियों के लिए किसी
दर्पण से कम नहीं है। यह बीमारी हमारी ओर बहुत कुछ इशारा कर रही है। यदि
हम स्वयं ही न सुधरें, ढंग से जीना न सीखें, खान-पान और रहने में बदलाव न
करें तथा प्रशासन के दिशा-निर्देशों पालन न करें तो कोरोना के प्रकोप से
कैसे बचा जा सकता है। चिकित्सक व जिला प्रशासन हमें कोरोना के प्रकोप से
कहां तक बचाएगा। यह कहना है सामाजिक संस्था मंथन आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन
के संस्थापक गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज का। जो उन्होंने
जरुरतमंदों को खाद्य सामग्री वितरित करते हुए कही। उन्होंने उदाहरण देते
हुए कहा कि जैसे बिना वस्त्र धारण किए शरीर की शोभा नहीं होती, वैसे ही
बिना विवेक हमारा कोई भी व्यवहार शोभामुक्त नहीं हो सकता और यह विवेक
हमें सत्संग व जीवन में आई अच्छी-बुरी परिस्थितियों से ही सीखने को मिलता
है जो हम नहीं सीख पा रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना की तभी जंग जीता
जा सकता है, जब सभी अपने व अन्य जनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यानि
कि कोरोना के प्रकोप से निपटने के लिए जहां फेस मास्क का इस्तेमाल करें,
वहीं सामाजिक दूरी भी बनाकर रखें, ताकि कोरोना के प्रकोप से बचा जा सके।
महाराज जी का कहना है कि संस्था से जुड़े दानवीरों के सहयोग से गत 2 माह
से जरुरतमंदों को भोजन व खाद्य सामग्री उपलब्ध कराए जाने का अभियान जारी
है। इस पुण्य कार्य में डा. आरआर मित्तल व डा. नंदिनी मित्तल तथा संस्था
के कार्यकर्ता अपना विशेष सहयोग देते आ रहे हैं।
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