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किताबों के दामों में की गई है वृद्धि, सरकार दे ध्यान अभिभावकों को बचाया जाए निजी स्कूलों के आर्थिक शोषण से : हिमांशु शर्मा

गुडग़ांव, गुडग़ांव पैरेंट्स एसोसिएशन का निजी स्कूलों की
प्रबंधनों के प्रति रोष बढ़ता ही जा रहा है। एसोसिएशन के हिमांशु शर्मा
का कहना है कि एसोसिएशन ने निजी स्कूलों की बढ़ती मनमानी, फीस में
वृद्धि, वार्षिक फीस आदि को लेकर मुहिम चलाई हुई है। एसोसिएशन सरकार से
मांग करती रही है कि इनकी मनमानी पर रोक लगाई जाए। हालांकि सरकार ने केवल
ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए हुए हैं, लेकिन अब इन स्कूलों ने
बच्चों की किताबों के नाम पर धन उगाही करनी शुरु कर दी है। उनका कहना है
कि स्कूलों के साथ मिलकर पब्लिसर ने पुरानी किताबों की कीमत को छिपाकर
उसके ऊपर नई कीमत का टैग लगा दिया है, जिससे इन पुस्तकों की कीमतों में
बड़ी वृद्धि हो गई है। उनका कहना है कि निजी स्कूल अभिभावकों की जेब
ढ़ीली करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते हैं। यह सब सरकार देख रही है।
ऐसा लगता है कि सरकार इन निजी स्कूलों के सामने बेबस है। अभिभावकों का यह
भी कहना है कि केंद्र सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए 20 लाख करोड़
रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, लेकिन उसमें शिक्षा को वंचित रखा
गया है। मध्यम श्रेणी के लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि इस
वर्ग के लोगों की नौकरियों में छंटनी भी शुरु हो गई है। वेतन में कटौती
की जा रही है, लेकिन सरकार इस सबको लेकर मौन है। उन्होंने सरकार से आग्रह
किया है कि बच्चों की किताबों को पूर्व की दरों पर ही उपलब्ध कराया जाए,
ताकि अभिभावक निजी स्कूलों के आर्थिक शोषण से बच सकेँ। नाओं
की पुनरावृति करने का कोई साहस न कर सके। प्रदेशवासियों की नजर एसईटी की
जांच पर टिकी हैं।

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