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एआईडीएसओ ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का किया विरोध निजीकरण, व्यापारीकरण व व्यवसायीकरण को मिलेगा बढ़ावा : सौरभ घोष

गुडग़ांव, केद्र सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
की घोषणा की गई है। इस शिक्षा नीति की जहां सराहना की जा रही है, वहीं
कुछ संस्थाओं द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है। ऑल इण्डिया
डैमोक्रेटिक स्टुडेंट्स आर्गेनाइजेशन (एआईडीएसओ) के राष्ट्रीय महासचिव
सौरभ घोष का कहना है कि यह नई शिक्षा नीति चौतरफा निजीकरण, व्यापारीकरण,
व्यवसायीकरण को बढ़ावा देगी। सरकार ने शिक्षा नीतियों के निर्धारण में
सारी जनवादी प्रक्रियाओं को ताक पर रखते हुए शिक्षाविदों, छात्र व शिक्षक
संगठनों के सुझावों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। उनका कहना है कि
स्कूली शिक्षा की पुरानी पद्धति को बदल कर नई शिक्षा पद्धति को लागू किया
जा रहा है। जिसमे 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया उन
आंगनवाड़ी केन्द्रों के हाथ में सौंप दी जाएगी जो पहले से ही वेंटिलेटर
पर हैं। शैक्षणिक-गैरशैक्षणिक गतिविधियों एवं विज्ञान व कला संकाय के बीच
किसी ठोस विभाजन का न होना सीखने और सिखाने की पूरी प्रक्रिया को ही
बर्बाद कर देगा। उनका कहना है कि हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया का गठन
शिक्षा पर शिक्षा पर अफसरशाही के शिकंजों को और मजबूत करेगा। उन्होंने
छात्र संगठनों को आह्वान किया है कि इस नई शिक्षा नीति का सभी सामूहिक
रुप से संगठित होकर विरोध करें और सरकार को मजबूर किया जाए कि इस शिक्षा
नीति को वापिस ले।

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