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आसमान छू रहे हैं फलों के दाम, जिला प्रशासन है बेखबर

गुरूग्राम, पूरा देश कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा
है। कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार व जिला
प्रशासन कोरोना से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। कोरोना
पीडि़तों व कोरोना से लड़ाई लडक़र स्वस्थ हुए मरीजों को अपनी
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिनों से भरपूर फलों का सेवन
करना चिकित्सक आवश्यक बताते हैं, लेकिन कोरोना काल में फलों के दाम आसमान
छूते नजर आ रहे हैं। शहरवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग फलों
के दामों को सुनकर सन्न रह जाते हैं। या यूं कहा जाए कि फलों के बढते
दामों को देखते हुए फल आम आदमी की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं। उधर फल
विक्रेताओं का कहना है कि उन्हें गोदाम से ही काफी महंगे दामों पर फल मिल
रहे हैं, उन्हें महंगे दामों पर बेचना उनकी मजबूरी है। जिला प्रशासन को
फलों की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण लगाने के लिए अधिकारियों की
जिम्मेदारियां सुनिश्चित करनी चाहिए। बताया जाता है कि फल का व्यापार
करने वाले लोग आपदा में भी अवसर तलाशने में लगे हैं। यानि कि उन्होंने
फलों का भण्डारण किया हुआ है। इसी लिए वे अपनी मनमर्जी के दामों पर फलों
की बिक्री कर रहे हैं। फलों की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रयास किए जाने
जरुरी हैं। बताया जाता है कि सेव के भाव 250 से अधिक, अंगूर 150 रुपए,
मौसमी 100 रुपए, अनार 150 रुपए, पपीता 80 रुपए, अनानास 120 रुपए
प्रतिकिलो की दरों पर मिल रहे हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
चिकित्सक नारियल पानी का सेवन करने की सलाह भी देते हैं। एक माह पूर्व
30-35 रुपए में मिलने वाला नारियल पानी अब 80-90 रुपए में मिल रहा है।
लोगों का कहना है कि जिनके घरों में 3-4 लोग कोरोना संक्रमित हों, तो
उनका क्या हाल होगा। उनकी सामथ्र्य इतने महंगे फल व नारियल पानी खरीदने
की नहीं है। प्रशासन को इस दिशा में शीघ्र की सख्त कदम उठाने चाहिए।

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