गुरूग्राम :- निर्जला एकादशी यानि कि भीमसेनी एकादशी का व्रत
आज सोमवार को श्रद्धालु रखेंगे और अपनी सामथ्र्यनुसार दानपुण्य कर आमजन
को शीतल व मीठे जल का सेवन भी कराएंगे। डा. पंडित मनोज शर्मा का कहना है
कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालु इस व्रत में जल का सेवन
नहीं करते। यानि कि निर्जला इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता। उनका
कहना है कि निर्जला एकादशी का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा है। भगवान
व्यास ने पाण्डव पुत्र भीम को निर्जला एकादशी करने का सुझाव दिया था। देव
ऋषि नारद ने भी एक हजार वर्ष तक एकादशी का निर्जल व्रत कर नारायण भक्ति
प्राप्त की थी। इस व्रत से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है कि
माता शक्ति के क्रोध से भागते-भागते भयभीत महर्षि मेधा ने अपने योग बल से
शरीर छोड़ दिया था और उनकी मेधा पृथ्वी में समा गई थी और वही मेधा जौ और
चावल के रुप में उत्पन्न हुई। ऐसा माना जाता है कि यह घटना एकादशी को ही
घटी थी। जौ और चावल महर्षि की ही मेधा शक्ति है, जो जीव हैं। इसीलिए
एकादशी के दिन जौ और चावल नहीं खाया जाता।
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