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आज श्रद्धालु कालाष्टमी का व्रत रखकर करेंगे भैरव बाबा की पूजा-अर्चना

गुडग़ांव, जुलाई का माह धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
जुलाई के पहले सप्ताह में एकादशी का व्रत है। इस एकादशी को योगिनी एकादशी
कहा जाता है। आज एक जुलाई को आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को
जिसे कालाष्टमी भी कहा जाता है। आज भगवान काल भैरव की पूजा की जाएगी।
कालभैरव की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकटो से मुक्ति मिलती है,
शनिदेव भी शांत होते हैं। पंडितों का कहना है कि भैरव बाबा की कृपा से
राहू-केतू ग्रह से मिलने वाले दोष भी दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि
कालाष्टमी के दिन ही भोलेनाथ भैरव के रुप में प्रकट हुए थे। यदि सच्चे मन
से भैरव बाबा की पूजा की जाए तो बिगड़ते कार्य बन जाते हैं, लेकिन पूजा
करते समय किसी भी तरह का छल-कपट नहीं होना चाहिए। पौराणिक कथा भी
कालाष्टमी को लेकर प्रचलित है। कहा जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश
इन तीनों में कौन श्रेष्ठ है, इस पर बहस छिड़ गई। सभी देवताओं ने अपने
विचार भी व्यक्त किए। कहा जाता है कि शिवजी और विष्णु ने तो समान विचार
व्यक्त किए, लेकिन ब्रह्मा जी उनसे संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने शिवजी
को अपशब्द कह दिए, जिससे शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने इसे अपमान
समझते हुए क्रोध में अपने रुप से भैरव को जन्म दिया। भैरव अवतार का वाहन
काला कुत्ता है। कहा जाता है कि शिवजी के इस रुप को देखकर सभी देवता घबरा
गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के 5 मुखों में से एक मुख को काट दिया,
तब से ब्रह्मा जी के 4 मुख ही हैं। उनके सिर को काटने के कारण भैरव पर
ब्रह्म हत्या का पाप भी लगा था।

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