गुडग़ांव, आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं समय-समय पर देश
के विभिन्न प्रदेशों में घटित होती रही हैं। सामान्यत: इस प्रकार की
घटनाएं मानसून के मौसम में अधिक होती हैं। साईबर सिटी में असंख्य
गगनचुंबी इमारतें भी स्थित हैं। इन इमारतों को लेकर भी आसमानी बिजली
गिरने की चपेट में आ जाने की आशंकाओं पर चर्चा होती रही हैं। हालांकि इन
गगनचुंबी इमारतों में तडि़तचालक व अन्य तरीके भी अपनाएं गए हैं, ताकि
बिजली गिरने से बचाव किया जा सके। बिजली गिरने की घटनाओं को जलवायु
परिवर्तन का भी मुख्य कारण माना गया है। दूसरे नमी व आद्रता का अधिक होना
भी संभावित कारण माना जाता है। शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण
क्षेत्रों में आसमानी बिजली गिरने की अधिक घटनाएं घटित होती हैं। क्योंकि
ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों एवं फसलों के पौधों से अधिक हरियाली होती
है तथा सिचाई के साधनों से भी सदैव नमी बनी रहती है। जानकारों का कहना है
कि वैसे तो आकाशीय बिजली कहीं भी गिर सकती है, लेकिन हमारे देश में
पहाड़ी क्षेत्र एवं समुद्र तट के निकट वाले क्षेत्रों में बिजली गिरने की
घटनाएं अधिक घटित होती हैं। मानसून के आते ही आकाशीय बिजली गिरने से इस
वर्ष भी गत माह में उतरप्रदेश, राजस्थान व झारखंड में कई लोगों की मौंत
भी हो गई थी। जानकारों का कहना है कि बिजली पैदा करने वाले बादल
सामान्यत: पृथ्वी से 10-12 किलोमीटर की ऊंचाई पर होते हैं, लेकिन इनका
आधार 2 से 3 किलोमीटर ऊपर ही रहता है। आकाश में बादलों के बीच घर्षण होने
से एक प्रकार का विद्युत आवेश पैदा होता है एवं यह तेजी से आकाश से जमीन
की ओर जाता है। इस दौरान तेज आवाज के साथ तेज प्रकाश भी दिखाई देता है।
इस पूरी घटना को सामान्यत: बिजली का कडक़ना एवं गिरना कहते हैं। जानकारों
का यह भी कहना है कि आकाश में पैदा विद्युत आवेश जब धरती की ओर जाता है
तो बीच में आई सारी वस्तुएं उच्च तापमान के कारण झुलसकर लगभग नष्ट हो
जाती है। उनका कहना है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष बिजली गिरने की करीब
अढ़ाई करोड़ घटनाएं घटित होती हैं। पशु एवं मकानों को भी बिजली गिरने से
हानि होती है। देश में लगभग 3 हजार लोग प्रतिवर्ष आकाशीय बिजली गिरने की
चपेट में आने से मर जाते हैं। जानकारों का कहना है कि बिजली गिरने की
पूर्व जानकारी के लिए वैज्ञानिक प्रयास भी किए जा रहे हैं। मौसम विभाग की
तर्ज पर आकाशीय बिजली गिरने का भी पूर्व अनुमान लगाया जाना संभव हो
सकेगा। लाईट डिटेक्टिंग सिस्टम भी लगवाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि
गगनचुबी इमारतों पर तडि़त चालक लगाने को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
बिजली गिरने के माहौल में पेड़ व ऊंची इमारतों के पास खड़ा नहीं होना
चाहिए तथा बिजली एवं टेलीफोन के खंबों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए, ताकि
आकाशीय बिजली गिरने की चपेट में आने से बचा जा सके।
Comment here