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अनैतिकता, असत्य, अहंकार व दुराचार पर विजय का पर्व है विजय दशमी

गुरुग्राम। अश्विन मास की शुक्ल पक्षीय दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजय दशमी पर्व देश के मुख्य पर्वों में से एक है। वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, कालिका उप पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के साथ इस पर्व का गहरा संबंध है। यह पर्व कल यानि कि वीरवार को धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसकी सभी तैयारियों में विभिन्न संस्थाएं जुटी हुई हैं। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने अपनी विजय यात्रा इसी तिथि से आरंभ की थी। इसलिए विजय दशमी की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ जाती है। भारतीय काल गणना के अनुसार इसका आरंभ आज से करीब 9 लाख वर्ष पूर्व सिद्ध होता है।
अमानवीय दुर्गुणों पर है विजय का पर्व विजय दशमी
ज्योतिषाचार्य पंडित डा.  मनोज शर्मा का भी कहना है कि इस समय में ऐसे गृह नक्षत्रों का संयोग होता है, जिससे विजय यात्रा का श्रीगणेश करने पर विजय यात्री को जय की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान श्रीराम द्वारा रावण पर विजय देवी एवं मानवीय गुणों सत्य, नैतिकता तथा सदाचार की राक्षसी एवं अमानवीय दुर्गुणों पर विजय है। यह पर्व न्याय की जीत एवं नारी जाति के अपमानकर्ताओं का संहारक है। उनका यह भी कहना है कि यह विजय यात्रा मात्र लंका या रावण पर की जाने वाली राजनैतिक विजय भर नहीं है, अपितु यह सनातन धर्म एवं मानवीय मूल्यों की संरक्षणात्मक पद्धति का शिलान्यास भी है। भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद लंका पर स्वयं कभी आधिपत्य नहीं रखा। उन्होंने रावण का राज्य विभीषण एवं बाली का राज्य उनके भाई सुग्रीव को लौटा दिया था।
बढ़ती जा रही है विजय दशमी की प्रसांगिकता
डा. मनोज शर्मा का कहना है कि विजय दशमी की आधुनिक काल में भी प्रसांगिकता और अधिक बढ़ती जा रही है। क्योंकि वर्तमान में रावण, खरदूषण, बाली और कुंभकरण भी देखे जा सकते हैं। उनका कहना है कि आज न जाने कितनी सीताएं प्रतिदिन अग्रि की भेंट चढ़ रही हैं। जीवन मूल्यों, पशु-पक्षी, वन-उपवनों, पर्वत-सागर व आचार-विचार सभी पर खतरे मंडरा रहे हैं। आधुनिकता के दौर व बदलते परिवेश में इन सब खतरों पर विजय पाने की जरुरत है और इन्हीं अर्थों में विजय दशमी पर्व एक सार्थक पर्व है। सभी को प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि समाज में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में सामूहिक योगदान देंगे।
दशहरे पर बने हैं ये शुभ योग
विजय दशमी को बेहद शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन आपके सभी कामों को सफल बनाएंगे। एक अक्तूबर, बुधवार को सायं 7 बजकर 2 मिनट पर दशमी का शुभारंभ होगा और 2 अक्तूबर गुरुवार सायं 7 बजकर 10 मिनट पर दशमी का समापन होगा। इसलिए विजयादशमी का पर्व 2 अक्तूबर को मनाया जाएगा। दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से दोपहर 2 बजकर 44 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।