गुडग़ांव- देश की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न प्रदेशों के साहित्यकारों, कहानीकारों, व्यंगकारों का भी बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों में अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई का सूत्रपाथ किया था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ
देशवासियों को अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों को बड़ा झंझोड़ा था, उसी का परिणाम है कि आजादी की लड़ाई में समाज का हर वर्ग कूद पड़ा था और देश आजाद हो सका था। महिला साहित्यकारों का भी योगदान भारत की लड़ाई में कम नहीं रहा है। भागलपुर विहार की सुचित्रा भट्टाचार्य की जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने कलकत्ता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने 80 के दशक के मध्य में उपन्यास लिखना शुरु किया था।
उन्होंने करीब 2 दर्जन उपन्यास और बड़ी संख्या में लघु कहानियां भी लिखी थी। उनकी इन रचनाओं का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया था। उन्होंने जासूसी उपन्यास की एक श्रृंखला भी लिखी। उनके उपन्यासों पर फिल्म का भी निर्माण हुआ था। वक्ताओं ने कहा कि उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न पुरुस्कारों से पुरुस्कृत भी किया गया। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी रचनाओं के लिए मोहिनी स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया था। उनका निधन 12 मई 2015 को कलकत्ता में उनके आवास पर हुआ था। वक्ताओं ने साहित्य के क्षेत्र में प्रयासरत युवाओं से आग्रह किया कि वे सुचित्रा भट्टाचार्य के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें।
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